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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir [ उत्तरार्धम् ] २१३ ऋजुसूत्र नय के मत से शय्या में जितने आकाश-प्रदेश अवगाहन किये गये हैं, वह उन्हीं पर बसता हुआ माना जाता है, कारण कि यह नय वर्तमान काल को ही स्वीकार करता है, शेष को नहीं । इस लिये जितने श्राकाश-प्रदेश किसी ने अवगाहन किये हैं, उन्हीं पर यह बसता है, ऐसा ऋजुसूत्र नय का मन्तव्य है। शब्द, समभिरूढ़ और एवंभूत इन तीनों नयों का ऐसा मन्तव्य है कि जो २ पदार्थ हैं वे सब अपने २ स्वरूप में ही बसते हैं। यदि अन्य पदार्थ अन्य परार्थ में बसता हुश्रा माना जाय तो यह शंका उत्पन्न होती है कि-अन्य पदार्थ यदि अन्य पदार्थ में बसता है तो क्या सर्व खरूप से बसता है या देश स्वरूप से ? यदि ऐसा माना जोय कि सर्व स्वरूप से बसता है तो आधार से श्राधेय पृथक् है, तब अपने स्वरूप का ही श्राप अशात होगा। क्योकि जैसे संस्तारकादि श्राधार है, उसका स्वरूप उसी में विराजमान है। इसी प्रकार देवदत्तादि सभी पदार्थ स्वरूप में रहते हुए श्राधार से पृथक प्रतीत नहीं होते, इसलिये यहपक्ष तो ठीक नहीं हुश्रा । अब यदि देश स्वरूप से श्राधेय आधार में ठहरता है, ऐसा माना जाय तो उसका स्वरूप भी देश मात्र ही रह जायगा। तथा देशमात्र में भी पदार्थ सब स्वरूप से रहता है या देश स्वरूप से ? यहां यदि प्रथम पक्ष प्रहण किया जाय तब देशमात्र का नोदेशमात्र हो जायगा । यदि द्वितीय पक्ष प्रहण किया जाय तो देश में देशमात्र की ही वर्तना सिद्ध होगी। इस प्रकार अनवस्था दोष श्राजायगा । इस लिये यह सिद्ध हुआ कि सभी पदार्थ स्वरूप-श्रात्मभाव में ही निवास करते हैं। क्योंकि यदि परस्वरूप में निवास करते हुए माने जायें, तब स्व स्वरूप का भी प्रभाव हो जायगा। इस प्रकार बसति के दृष्टान्त से सातों नयों का स्वरूप वर्णन किया गया है। अब प्रदेशों के दृष्टान्त द्वारा सातों नयों का विशेष विचार किया जाता है प्रदेश दृष्टान्त। से किं तं पएसदि,तेणं ? णेगमो भणइ-छह पएसो, तं जहा-धम्मपएसो अधम्मपएसो आगासपएसो जीवपएसो खंधपएसों देसपएसो। एवं वयं णेगम संगहो भणह-जं भणसि छण्हं For Private and Personal Use Only
SR No.020052
Book TitleAnuyogdwar Sutram Uttararddh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherMurarilalji Charndasji Jain
Publication Year
Total Pages329
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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