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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अर्थ अनुवादक बाल ब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषिजी उवक्कमे ? चउप्पए उवक्कमे-चउप्पयाणं आसाणं हत्थीणं इच्चाइ से तं चउप्पए उवक्कमे ॥७॥से किं तं अप्पए उबक्कमे? अप्पए उबक्क-अप्पयाणं अंबाणं अंबाडगाणं इच्चाइ से तं अप्पएउवक्कमे, से तं सचित्त दव्वोवक्कमे // 8 // से किं तं अचित्त दव्योवकमे ? अचित्त दव्योवक्कमे-खंडाईणं गुडाईणं मच्छंडीणं, से तं अचित्त दव्वोवकमे // 9 // से किं तं मीसए दव्वोवक्कमे ? मीसए दव्वोवक्कमे सोचेव थालगआयसगाइमंडिए आसाइ, से तं मीसए दव्योवक्कमे. // से तं जाणय सरीर // 6 // अहो भगवन् ! चतुष्पद उपक्रम किसे कहते हैं ? अहो शिष्य ! हाथी घोडे इत्यादि उपक्रम से अनेक कला का अभ्यास करे सो उपक्रम और वस्तु का नाश करे वह वस्तु विनाशक // 7 // अहो भगवन् ! अपद उपक्रम किसे कहते हैं ? अहो शिष्य ! आम्र अम्बाडे इत्यादि फल रसादि गुन की वृिद्धि करे तथा घटादि घृतादि धारन करे वह उपक्रम और इन से वस्तु का नाश करे सो विनाशक. यह अपद उपक्रम का और सचित्त द्रव्य उपक्रम के भेद हुए // 8 // अहो भगवन् ! अचित्त द्रव्य उपक्रय किसे कहते हैं। अहो शिष्य ! अचित्त द्रव्य उपक्रम शक्कर, गुड, मीश्री आदि दुग्धादि में मीलाने से मिष्ट गुन वगैरह की वृद्धि करे सो अचित्त द्रव्य उपका और विनाश करे सो वस्तु विनाशक. यह #अचित्त द्रव्य उपक्रम का कथन हवा // 9 // अहो भगवन् ! मीश्र द्रव्य उपक्रम किसे कहते हैं ? अहो शिष्य ! आभषणों से अलंकृत बने हुए उस अश्वादि को उपक्रम या वस्तु विनाश द्वारा शिक्षित बमावे प्रकाशक-राजावहादुर छाला सुखदवसहायजी ज्वालाप्रसादजी. For Private and Personal Use Only
SR No.020050
Book TitleAnuyogdwar Sutram
Original Sutra AuthorN/A
Author
Publisher
Publication Year
Total Pages373
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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