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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 2 227 तडिअगं सत सहरसाई से एगेतुडिए, चउरासीति तुडिय सत सहस्साई से एगे अडडंगे, चउरासीति अडडंगे सत सहस्साइं से एगे अडडे, एवं अववंगे, अववे, दुहुअंगे हुहुए, उप्पलंगे, उप्पले, पउमंगे, पउमे, नलिणंगे, नलिणे, अत्थिनिपुरंगे, आत्थिनिपुरे, अउयंगे, अउए, पउअंगे, पउए, णउअंगे, णउए, चूलिअंगे, चूलिणा; चउरासीति सीसपहेलि अंगे सत सहरसाइं सा एगासीस पहेलिया // एतावता चेव गणिए, एतावता चेव गाणयस्सविसए, एतोपर उवमिए पवत्तत्ति // 26 // से किं 49803><28808 प्रमाण विषय अर्थ एकमिशत्तम अनुयोगद्वार सूत्र-चतुर्थ मूल का 1 उत्पलांग, 84 लाख उत्पलांग का 1 उत्पल, 84 लाख उत्पल का एक पांग, 84 लाख पद्मांग 'F का एक पन. 84 लाख पद्म का 1 नलिनांग, 84 लाख नलीनांग का 1 नलीन, 84 लाख नलीन का 1 अधीनेपुरांग, 84 लाख अत्थिनेपुरांग का 1 अस्थिनेपुर, 84 लाख अथीनेपुर का 1 अउ अंगा 84 लाख अउअंग का 1 अउ, 84 लाख अउ का एक पउमांग, 84 लाख पउमांग का पउम,८४ लाख पउम का 1 नउअंग, 84 लाख नउअंग का 1 नउ, 84 लाख नउ का 1 लि आंग, 84 लाख चूलिआंग का 1 चलित, 84 लाख चूलित का 1 शिर्षपहेलिकांग, 84 लाख शिर्षपहेलीकाकंग का 11 शिर्षपहेली, यहां तक सब 194 अंक हुअ यहां तक गणित संख्या का प्रमाण है. इस के उपरांत 1 असंख्य होने से उस का स्वरूप ओपमा प्रमाण द्वारा कहते हैं // 26 // अहो भगवन् ! उपमिक 38 0 0 43 For Private and Personal Use Only
SR No.020050
Book TitleAnuyogdwar Sutram
Original Sutra AuthorN/A
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Publisher
Publication Year
Total Pages373
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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