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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पारिणामिए निष्फन्ने ? उदईएत्ति मणुस्से, उवसंता कसाया, खइयं सम्मसं. पारिणामिए जीवे. एसणं से पामे उदई" खउपसमिए,खईए पारिगामिय निप्फन्ने ३कयो से मामे उदईए उबसमिए खउक्समिए पारिणामिय निप्फन्ने? उदइएत्ति मणुस्ते. उवसंता कसाया खउवसमियाई इंदियाई, पारिणामिए जीवे, एसणं से नामेउदई९ उवसमिए खउपसमिए पारिणामिया निष्फन्ने. 4 कयरे सेनामे उदइए खईए खउपसमिए पारिणामिय निप्फन्ने ? उदइएत्ति मणुस्से, खइयं सम्मत्तं, खउवसामयाई इंदियाई, परिणामिए अर्थ : जीवे एसणं से नामे उदईए खईए खउवसमिए पारिणामिय निष्फन्ने 5 कयरे से मनुष्य गति, उपशांत कपाय, क्षायिक सम्यक्त्व व पारिणा मिक जीव है इस लिये आदयिक भौमिक सायिक व पारिणामिक नाम कहा है. 3 प्रश्न-औदयिक औपशमिक क्षयोपशमिक व परिणामिक नाम PE कैसे कहा ? उत्तर- उदय में मनुष्य गति, उपशांत कपा. क्षयोपशप में इन्द्रिय लब्धि और पारिणामिक भीव हैं. इस लिप औदयिक औपमिक क्षयोपशम : य प रणामित निष्पन्न नाम है. 4 प्रश्न-औद यिक क्षायिक क्षयोपश्यमिक व पारिणामिक नाम कैसे कहा ? उत्तर-औदायिक में मनुष्य गनि. धायिक सम्यक्त्व, योपशम इन्द्रिय लब्धि और पारिभामिक जीव है. इस लिये औदायक औपशमिक क्षायिक एकात्रंशत्तम अनुयोगद्वार मूत्र चतुर्थ मूल स For Private and Personal Use Only
SR No.020050
Book TitleAnuyogdwar Sutram
Original Sutra AuthorN/A
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Publisher
Publication Year
Total Pages373
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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