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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir एकत्रिंशचम-अनुयोगद्वार मुत्र चतुर्थ मूल 498 अर्थ तं रसनामे ? रसनामे पंचविहे पण्णत्ते तंजहा-तीत्तसनामे, कडयरमनामे, कसायरसनामे, अंबिलरसनामे, महुररसनामे से तं रसनामे // से किं तं फासनामे? फासनामे ! अट्टविहे पण्णत्ते-कक्खडफापणामे, मउयफासगामे, गरुयफासनामे, लहुयफासनामे सीतफासनामे, उसिणफासनामे, णिद्ध फासनामे, लुक्खफासनामे, से तं फासनामे // से किं तं संढाणणामे ? संट्ठाणणामे ! पंचविहे पण्णत्ते, संजहा-परिमंडल संढाणणामे, वट संटाणणामे, तस साढणणामे, चउरंस संढाण णामे, आयत संढाणणामे से तं सट्ठाणणामे, से तं गुणणामे // 106 // से किं कहते हैं ?? रस नाम के पांच भेद कहे हैं. तिक्त रस नाम, कटुक रस नाम, कषायला रस नाम, अम्बट रस नाम व मधुर रस नाम. यह रस नाम का कथन हुवा. अब स्पर्श नाम किसे कहते हैं ? अहो शिष्य ! स्पर्श नाम के आठ भेद कहे हैं तद्यथा-कर्कश स्पर्श नाम. मृदु स्पर्श नाम, गुरु स्पर्श नाम, लघु स्पर्श नाम, शीत स्पर्श नाम, ऊष्ण स्पर्श नाम, स्निग्ध स्पर्श नाम व रुक्ष स्पर्श नाम. यह स्पर्श नाम हुवा. अब संस्थान माम किसे कहते हैं ? अहो शिष्य ! संस्थान नाय के पांच भेद कहे हैं. तद्यथा-१ परिमंडल संस्थान नाम, 2 वट्ट संस्थान नाम, 1 ध्यंस संस्थान नाम, चउरंस संस्थान नाम, और आयतन संस्थान नाम. यह गुण नाम हुवा // 106 // अहो भगवन् ! पर्यव नाम 484889488+नाम विषय48824887 498 For Private and Personal Use Only
SR No.020050
Book TitleAnuyogdwar Sutram
Original Sutra AuthorN/A
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Publication Year
Total Pages373
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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