SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 16
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir Achan परमश्रोत्रिय ब्राह्मणके सुपुत्र थे। इनके गुरु का नाम संघदयालु था। आचार्य सोढल आयुर्वेद के उपरांत ज्योतिष आदि अन्यान्य शास्त्रों के भी परम विद्वान् माने जाते थे। गुजरातके राजा द्वितीय भीमदेवके द्वारा उकित एक ताम्रपत्र में रायकवाल जाति के ब्राह्मण ज्योति सोढलके पुत्र को दान देने का उल्लेख है। इससे उनके राज्यमान्य परम विद्वानों की सूची में समाविष्ट होने का प्रमाण मिलता है । 'गनिग्रह' नामक ग्रन्थमें इन्हों ने अन्य निघण्टुओ में अप्राप्य और केवल गुजरात प्रान्तको भूमिमें ही उपलब्ध होने वाली वनस्पतियोंका उल्लेख किया है । इन वनस्पतियोंके उल्लेख से भी इन के गुजरात प्रान्तके निवासकी पुष्टि होती है। इन्हों ने ही चिकित्सा शास्त्र के उपयोगी योगों को पृथक् करके रोगानुसार योगों का उल्लेख करने का प्रारंभ किया है । २ आचार्यश्री यशोधर " रसप्रकाशसुधाकर" नामक रसशास्त्र के ग्रन्थ के लेखक आचार्य यशोधर गुजरात प्रान्त के सौराष्ट्र नामक प्रदेशमें परमतीर्थ स्वरूप .गिरिराज गिरनार पर्वत की उपत्यकाओं में स्थित जूनागढ नामक नगर के निवासी थे। ये श्रीगोड नामक ब्राह्मण कुलमें उत्पन्न हुए थे। इनके पिताका नाम पद्मनाम था । 'रसप्रकाशसुधाकर' नामक ग्रन्थ में रसशास्त्र सम्बन्धी सिद्धान्तों का विशद वर्णन किया गया है । यह ग्रन्थ इनके पूर्व में रचित रसशास्त्र के ग्रन्थों से अधिक व्यवस्थित प्रतीत होता है। इस की रचनाके For Private And Personal Use Only
SR No.020047
Book TitleAnupan Manjari
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVishram Acharya
PublisherGujarat Aayurved University
Publication Year1972
Total Pages144
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy