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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भूमिका संस्कृत वाङ्मयमें गुर्जर प्रान्तीय विद्वानों का योगदान १ महर्षि कणाद गुर्जर प्रान्तीय विद्वानोंके इतर शास्त्र सम्बन्धी योगदान और उनकी असाधारण प्रतिभा तथा प्रतिष्ठा सर्वतो विदित है । परमाणुवादकी प्रथम कल्पना करने वाला वैशेषिक दर्शनको एक वैज्ञानिक स्वरूप देने वाले महर्षि कणाद गुर्जर प्रान्तके सौराष्ट्र नामक प्रदेशमें पुराण प्रसिद्ध श्री प्रभासतीर्थके निवासी और सोमशर्मा नामक आचार्य के प्रिय शिष्य थे । यह इनकी कर्म भूमि थी। इनकी सर्वविज्ञता और उच्चतम प्रतिभा के कारण ही ये शिवके साक्षात् स्वरूपावतार के रूप में सम्मानित किये गये है। इनकी परमाणु सम्बन्धी कल्पनाका प्रथम अवतरण आज के युगके परमाणु विज्ञान के विस्तृत अध्ययन के बीचके रूपमें माना जाना चाहिये । २ आचार्य श्री गौडपाद मायावादका प्रारंभिक बीजवपन करने वाले माण्डूक्यकारिका नामक ग्रन्य के द्वारा माण्डूक्य उपनिषद् की व्याख्या करने वाले आचार्य गौडपाद भगवान श्री शंकराचार्य के गुरु श्रीगोविंदपाद के भी गुरु थे । श्री आदि शंकराचार्य ने :नके बीज रूपसे संग्रहीत मायावाद को पूर्णतः पुष्पित पल्लवित कर अपने अद्वैत वेदान्त सिद्धान्त की सुद्रढ स्थापना की। ये आचार्य गोदपाद की जन्मभूमि और कर्म भूमि गुजरात प्रान्तमें प्रवाहित नर्मदा नदी के तोर प्रान्त प्रदेश थे ऐसा लोक श्रुतिसे माना जाता For Private And Personal Use Only
SR No.020047
Book TitleAnupan Manjari
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVishram Acharya
PublisherGujarat Aayurved University
Publication Year1972
Total Pages144
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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