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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्री ज्ञानभास्कर पाण्डेजी के स्थानान्तरण के अनन्तर इस विभाग को युनिवर्सिटी के अनुस्नातक विभाग के मौलिक सिद्धान्त विभाग के अधीन कर देने से मेरे पुरोगामियों द्वारा प्रारंभ किये गये कार्यका अनुगामी के रूपमें सुचारु संचालन एवं समापन करना मेरा परम कर्तव्य हो गया । अनुपानमंजरी के पूर्णतः प्रतिसंस्कार के विचार को छोडकर अत्यंत अनिवार्य संशोधन के साथ ही मूल हस्तप्रति का प्रकाशन करना अधिक उचित माना गया । इस से पाठकों के साथ ग्रन्थकर्ताकी अधिक निकटता और यथास्थितग्रंथके संशय योग्य विषयों में अधिक योग्य विवरण प्राप्त करनेका सुअवसर प्राप्त होता है । इस पुस्तकके प्रकाशनके समय इस अनुपानमंजरीके मूल लेखक और प्रत्येक हस्त प्रतिके प्रत्येक लिपिकार का आभार प्रदर्शन करना प्रथम कर्तव्य है । साहित्य संशोधन विभाग के मेरे पूर्व के सभी अध्यक्ष तथा वर्तमान कालमें उपस्थित अथ च निवृत्त सहकार्यकर्ताओं के प्रति भी आभार प्रदर्शन करता हूं । इन सभी सजनों ने इस अनुपानमंजरीको मुद्रित रूप में प्रस्तुत करने के मेरे कार्य को पर्याप्त परिश्रम से सफल किया है। विविध विद्या संस्थान और ग्रन्थागार तथा इण्डिया आफिस For Private And Personal Use Only
SR No.020047
Book TitleAnupan Manjari
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVishram Acharya
PublisherGujarat Aayurved University
Publication Year1972
Total Pages144
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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