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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ९१ . अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग ४ पांडुरोगीमरिजाय१ अथकामलारोगकोलक्षगलिष्यतेजो पांडुरोगीगरमवस्तघणीषाय वेंकैपित्तहेसोलोहीअरमांसनेदा धकरे वेंकानेत्रहलदसिरकाकरैपरवेंकात्वचानषदोहलदका रंगसिरकोकरिदे अरवेंकोमलमूत्ररुधिरसिरीसोकारदे मांडका कावररासिरीसोहोजाय इंद्रयांकोबलजातोरहै दाहहोयावे अंनपचनहीं दुर्बलताहोय अरुचिहोय येलक्षणहोयतदिकाम लारोगजातिजै अथहलीमकरोगकोलक्षगलिष्यतेजीपांशु रोगीकेवायपित्तवधै तदिवेंकात्वचाहरीकालापीलीहोजाय पर वेंकोवलउत्साहजातोरहे अरनंदरामंदाग्नी मिहींजूर दाह निस रुचि भ्रम येसाराहोयाचे स्त्रीसंगप्यारोनहींलागे अंगामैं पार्ड होय तदिहलीमकरोगजाणिजे अथपांडोगकोजतनलिष्यते सारनैगोमूत्रमैदि७ पकावै पाछैईनमिहीं वाटि जलसूंरंकारो जानादिन१५लेतोपांडुरोगजायाअथवा गोमूत्रमैपकायो मांड र तीनेक गगुडकेसाथिदिन१५ लेनोपांडरोगजायर अथवा सा सकीजड निसोत सूठि मिरचिपापति वायविडंग दारुहलद चित्र क कूठ हलद त्रिफला दांयूएगीचय इंट्जव कुटकी पापलामूल नागरमोथो काकडासांगी करेललि अजवाणि कायफल येसारा टकाटकाभरिले पाछेयांनैमिहींपारि यांसूंडूएगोईमैमांडरमिलावे पाछेयांने अठगुणागोमूत्र में पकावै पाछेईकीगोलारंकाप्रमा पाकीबांधै पाछैगोलीगंडकीछाछिकैसामिलदिन१५लेतो पो डुरोगअसाध्यभीजाय अरयोहाकामलारोगर्नेहलीमकरोगनै सा मनै षासीनैं राजरोगनैं जरने सोजानैसूलने फायानै आफराने वासीरनैं संग्रहपीने कृमिरोगर्ने वातरक्तनै कोट.यासारारोगांने For Private and Personal Use Only
SR No.020035
Book TitleAmrutsagar Vaidyak Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSawai Pratapsinh Maharaj
PublisherGyansagar Press
Publication Year1860
Total Pages590
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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