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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ५३० अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग २५ हडैसेचणी मिश्रीनेंआदिलेरमीठी वस्तु साठी चावल मूंग सरोव रकोजल श्रोटायोइथ सरदरिनुमैंइतनांपथ्य अयेकुपथ्य तीषी वस्त लूलाबढाई आसव नावडो दिनकोसोवो पूर्वकीपवन सरद रितुमैंइननीवस्त कुपथ्य नुउतरतांकासानदिनतांईरितुकीवि धिकरणी मराठयांदिनसूआगलारिनुकीविधिकरणी इतिछ ऊरितुमैंयाहारविहार की विधिसंपू० अथदिनचर्यादिनमैंजो आहारविहारती की विधिति मनुष्य सोघडी ४ फैनडकैऊ ठि आपकाइष्टदेवत्यांको ध्यानकरे पाछेवेंसमेमे िवचारे इंदिनमें योकार्यकरणों अरयो कार्यनहींकरणों पाछेसज्यांसूरि मलमू त्रको त्यागकरै यांको वेगरोकैनहीं अरदिननेंउत्तरदशाकानीमु घराषिमलमूत्रदिनकरै श्ररात्रिनंदक्षिएादशांकांनीमूंढोराणि मलमूत्रकरै अरमलमूत्रकरतांबोलेनहीं अरमलमूत्रकरयांपा है सुधातृछको वौलसिरीनैत्र्यादिलेर आपका हाथकीकनिष्टीका यांगुली सिरीषोपतलोयरसूधोबारा १२ आंगुल कोदांत करे पाछेबांकी फाडकरैजी भनेंसोधे पाछैसीतलजलसूंबारा १२ कुर लाकरै पासीतलजलं मुषधोवै नदिमुषकासर्वरोगजाय अरदाताकोसी घोलून मिक्यूंठि सेक्योजीरोमिलायमिहींना टिकोराजीनामर्दन करैनोदांतामै रोगनहीं होय पाछेसरीरके नारायणादिनेलकोमर्द्दनकरै पाछेस्नेहकारिकारिवावास्तेच एगकोचूनारकटोठउगैरैनीको उवलो करै पाछेशरीरमैंबलराणि क्यूंसरीरका बलमाफिककुस्तीकरै पालैश्रमदूरिकरिस्मान करे कमरिनीचैनी गरम पाणीसंमानकरै अरकमरिऊपरिक्यूंयेकनि वायासुहावनाजलसूरमान करैतीरोगहोयनहीं अथस्नानका For Private and Personal Use Only
SR No.020035
Book TitleAmrutsagar Vaidyak Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSawai Pratapsinh Maharaj
PublisherGyansagar Press
Publication Year1860
Total Pages590
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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