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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ४३७ १८ G अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग जूफल वायविडंग यांनैमिही वांटियां को दांता कै मर्छ न करे तो दांना कासर्वरोगजाय ७ अथदांतगादाहोवाकीमिस्सीलि० हीराक सीस मांजुफल लोहचूर सौनामुषी मजीठ फुलाई फिटकडी त्रि फला येसारा बराबरिले यांनेघरलमेंमिहींचांटि काजलसिरीसा करै पाछे मासो । दाताकैघडी २ मसलैईविधिदिन ७ करैतौदांत स्यामहोय - अथदांताका सर्वविरहर बाकी औषदिलि० फि टकडी फुलाई नीलोथुथो तेजबल पापड्यौ काथ पीपलिकीक चीलाष सूंठ मिरचि पीपलि आंवला हीराकसीस माजूफल मजीठ रूमीमस्तंगी बौलसिरीकीवकल सीधोलूण दिषणीसु पारी येसाराबराबरिले पाछैयांने कूटि कपड छाए करि निर्गुडी कारसकीपुट २१ दे पाछैवैौलसिरीकावकलकीपुर २१ दे पुटदे तावडेंसकाचे पाछैईनेंमिहीनांटिक्यूसीधोलूए मिलाने पाछै कोदांता कै मर्दनकरैतौ दांताका सर्वरोगजाय ९ श्रथदांता का इषवाकीऔरषदिलि० कूठटंक ५ ठिटंक ५ मिरचिटंक ५ पीपलिटंक ५ बुरा साणी अजवाय टंक ५ हरडैकाछालिटं क ५काथटंक ५ यांनैमिही वांटि दांता कैमर्दन करैतौ दांतडूषता रहे १० अथवा गंगापारकीतमाषू व्याकलकरी कायफल वाय विडंग सूंठि मिरचि पीपलि लूल यांनैमिहींवांटि यांकोमनक रैतीदांत षतार है ११ अथदांत हालताहोयपरचांमैपीड चालतीकोषदिलि० पीपलि सांधोलूण जीरो हरकीछा लिमोचारस यांनमहीवांटि दांनाकैरगडैनौ यंनहालतार है अर बांकीपीडजाय १२ अथवा नागरमोथौ हरडैकी छाल सूं ठि मिरचि पीपलि वायविडंग नीचकापांन यांनमिहीनांटियाके For Private and Personal Use Only
SR No.020035
Book TitleAmrutsagar Vaidyak Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSawai Pratapsinh Maharaj
PublisherGyansagar Press
Publication Year1860
Total Pages590
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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