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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ३५० अमृतसागर तथा प्रतापसागरतरंग १७ कोछै बायकोकफको २ कफवायको३ अथअम्लपित्तको लक्षणलिष्यते अन्नपचैनहीं विनांषेदकोश्रमहोय यम नसो आवोकरै कडवीषारीडकारावैसरीरभारयोहोय हिया मैंकंउमैंदाहहोय भोजनमैंअरुचिहोय येलक्ष होयजीनेत्र म्लपित्तकहिजे योअरमपित्तदोयप्रकारकोछ यकतोऊछगामी सोतोमुषमाहिहोयकरिजाय येकअधोगामीगुदाद्वारा भायोहोयछै अथउर्ध्वगामीअम्लपित्तकोलक्षरालि. जोवमनकरेसोहस्यो पालोनीलो कालो लाल अत्यंतनिर्मल मीमांसकाजलसिरीसो अरअम्लपित्तकफ मिल्योहोयतो पणोंचीकपोंछादे अरकरडोलसूएगोतीषोछादे प्रथम -योगामीअम्लपित्तकोलक्षालिष्यते जीकामलमेंना . नाप्रकारकोवाहोय अरतिसहोय दाहहोय मूळहोय मोह होय हियोडूषे वमनसोभावेसरीरमेंदाफडहोया परड कारयणीहोय अरकंउमें धिमें हियामें दाहहोय सरीरमेंपी राहोय हाथपगांमैंदाहहोय भोजनमेंअरुचिहोय जुरहोय येताजी होयतदिजाणिजेईकैअम्लपिनकोरोगछे १ अम्लपित्तकेचिसेंऔरभीदोसांकोमिलापलैसोलि. ईअम्लपित्तकैविसेवायकोमोमिलापहोयछै भरकफकोभी मिलापहोयछे अटेवैद्यहेसोमोहकूप्राप्तिहोयछे अथदोष भेटकरिअम्लपित्तकोभेदलि. जीमेकांपणाहोय प्रला पहायमूर्जाहोय सरीरमचिमचिमादिहोय अरसरीरमेयीडा अरसूलहोय अरअंधेरीमावैरभौलियावेअरमोहहोय अरहर्षहोयभावै नदिजाणिजेअम्लपित्त,गायकोमिलापछे For Private and Personal Use Only
SR No.020035
Book TitleAmrutsagar Vaidyak Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSawai Pratapsinh Maharaj
PublisherGyansagar Press
Publication Year1860
Total Pages590
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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