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अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग डांनै भ्रदोन्यांच्यांडाकाभंडारानें वधाय देवैखै तीनेवैद्यडवृद्धि कंहै? अथवायकाअंडवृद्धिकोल क्षएालिष्यते वायक रिकैंभरी सीजोलुहारकीधमणि नीकोसोस्पर्शहोप अरलूषी होय रविरिकारणहीं वें में पीडाहोय तीनैवायकी अंडवृद्धिक हिजै १ अथपित्तकीडद्धिकोल क्षणलिप्यते पस्योजोगू लरिकोफल तीसरीसोसोजोहोय पर वेंदाहहोय तीनैपित्त कोअंडवृद्धिकहिजे २ अथकफकीडद्धिकोलक्षणलिष्य मोअंडटडिसीतलहोय अरभारीहोय अरचीकरणी होय मरजी मैं जालिहोय पर करडी होय पर बेमैपीडाथोडीहोय तदिजा विजेयाअंडरडिकफकी ३ अथलोहीका दुष्टपणांकी डबृद्धिकोलक्षणलिष्यते कालीहोय फोडाजी मैं घणाहोय अरपित्तकीदृद्धिकाजीमैंलक्षणमिले तीनैरक्तदुष्टकी अंडर डिकहिजै ४ अथमेदकीअंडवृद्धिकोलक्षएालिप्यते सर्व कफकासाजीमैंलक्षएाहोय अरकोमलजोताङको फलतींस सोहोय तीनेंमेद्कोअंडवृद्धिकहिजै पथमूत्रकारोकि वाकाअंडवृद्धिकोलक्षणलिष्यते जोपुरसमूत्रकारोगनैं रोकै परमारगनैचालेती के मसकसरीसोकोमलत्र्यांडबधै पर वेंमें पीडाहोय अरमूत्रकष्टसंतरे तीमूतकारोकिया कोडकिहिजे ६ अथमंत्रदृद्धिकी उत्पत्तिलक्षणलि• ज्यांवस्तांसंवाय हैसोको पकुंप्राप्तिहोय इसातो भोजनकरे रसीतलजलमैंतिरै जुद्ध मैं ऊंचो रहतीं भारका उठावासूं मा र्गचाविवासूं अंगांऊंश्रेठीऊंटी करि वासूं ओरकोईभयंकर ब स्तकाकरियां यांकारणांसंपवनहैसो सांकुचितहोय सरीर
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