SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 263
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २५६ अमृतसागर नया पतापसागर तरंग १२ ईनाम हींगारि गरकानसेरमैमकरो पाछैगरकोइधसेरनी मैंईकोपैरोमावोकरै इमावायेोषदिनांपैसोलिपूंछ बीलकी गिरिरंक-२॥ कालीमिरचिटंक साररंक५जायफलटके २॥समु इसोपटंक २॥ इलायचीटकशाभीमसेनीकपूरटंक २॥पत्रजटंक२॥ रालचिनारका हलदटंक २॥ कूटकरातालमषागारका फीमरंक॥यांओषधां आधीभागि यांनमिहींपारिमैनांषे. पाईसेस्यारिऽ मिश्रीकाचासणीकरैईचासणीमैोषयांमुधो मानोमिला पाछैईकागोलारंक५प्रमाणकाकरैगोली रोजीनां सथतीसधनीषायनो प्रमेहनेंरिकरै अरवार्यकोस्थंभकरै स्त्रि . यांनपणीप्रसन्न करें इनिगोषरूपाकः२९ अथवाचित्रक सो पागंधक सूट कालीमिरवि पापलि पारो सोध्योसोंगामहरो त्रिफला नागरमोथो येवरावरले पाछेपारागंधककाकजली करै पाछेकजलीमेयोपदिमिहींचांटिमिलावै पाछैईकैभां गराकारसकीपुटादेषरलकरै पाठेगोली प्रमाणकाबांथै गो सीरोजीनांप्रभातपातो पाराकोपकारकाकारांनँयोडूरि करेंछै ३० इतिपंचाननगुटिका येजतनवैद्यरहस्यमैल ष्याछै मामसेनीकपूरमासोकसुरीमासोअफीममासा ४ जायपत्रीमासा४ यांसारांनैनागरिपेलीका पांनाकारसमैवांटे पाछेरतीप्रमाणुगोलीकरै पाछैगोली१रोजानांइधमिश्री नाषिनीकैसाथिलेतौ प्रमेहमात्र रिहोय अरस्थभनकोकरै ३१ अथधृतप्रमेहकोजतनलिष्यते गिलचित्रक पाठ कु डाकाडालि सेकीहाँग कुटकी कूठ येवरावरिले त्यांनमिहींपाटि टंक शाजल लेतौघृतप्रमेहजाय ३२ अथवाांवलाहलद For Private and Personal Use Only
SR No.020035
Book TitleAmrutsagar Vaidyak Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSawai Pratapsinh Maharaj
PublisherGyansagar Press
Publication Year1860
Total Pages590
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy