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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १२ •अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग १ होय पर कहींत कारोगकाउपद्रव होयनहीं मररोगयेकोसको होय परवेंरोगी की चिकित्साकाच्या रुपायामिले एकतोभलाशास्त्रकोजाशि वावालोवैद्यमिलै दूसरी उसी ही वेंहींरोग की दूरिकरिया वालीोषधामि लै अरउसाही चतुर चाकरमीलेअर वेंसोहीरोगांद्रयान होई जितेंद्री ही य रोगकाघटवावधवांकोजाएगवांवालोहोय सोरोगीसाध्यआएिजे इ तिरोगी की साध्यपरिक्षासंपूर्णम् अथरोगांकाभेदलिष्यते सोओरोगकायामैंर हैंती कोनाचव्याधिछै सोवहचौदा १४ प्रकार कोर्छे सोलिपूंडूं सहजरोग १ गर्भरोग २ जातजातरोग ३ पीडासे उपजैसोरो ग ४ काल सेंउपजैसोरोग ५ प्रभावसूंउपजैसोरोग ६ स्वभावसूंउपजै सोरोग ७ ससूंउपजैसोरोग - आगंतुकरोग ९ कायिकरोग १० - आंतररोग ११ कर्मसेंउपजैसोरोग १२ दोससूंउपजैसोरोग १३ कर्मदो ससूंउपजैसोरोग १४ अबयांरोगां काजु दाजुदालक्षणलिप्यते मातापिताका वीर्यकादोससेवांकी संतानकै भीश्रो हीरोगहोयच्यावे ववासीरकोदनेंत्र्यादिलेर तीनेसहजरोगकहिजे ? गर्भ में ही कूबडोपां गुलोछांगुलो रावराषंड्यांनेंत्र्यादिलेर होय तीनेंगरभजरोगकहि जे २ गर्भथकांमाताकामिध्यात्र्यहारमिथ्याविहारकावसथकाबा लकउपजतांई रतवाववुरीतरहकोसरीर गूंगापनेदिलेरजो रोगहोयतीरोगनैजानजानकहीजे ३ परशस्त्रादिककाप्रहारसूंउ पज्योजोत्र्यस्थिभंगपीडादिकरोगत्यांने पीडाजनितरोगकहिजे ४ रसीतकाल उस्लंकाल वर्षाकाल सूं उपज्योजोरोग सीतघोलाग्यो नावडो तू घरमेलाग्यो वर्षामेघशोभाजे त्यांरोगांनकालजरोगक हिजे ५ देवतागुरु वडाका सरापसूंउपज्योजोरोग परग्रहांका प्रतिकूलपणामूंउपज्याजोरोग त्यांनेप्रभावजरोगकहिजे ६ पर For Private and Personal Use Only
SR No.020035
Book TitleAmrutsagar Vaidyak Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSawai Pratapsinh Maharaj
PublisherGyansagar Press
Publication Year1860
Total Pages590
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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