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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १२५ ६ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग सोलिबूंं बायकीतिस १ पित्तकी २ कफकी ३ सस्यादिककी चोट सूं उपजी ४ बलकानाससूंउपजी ५ वसूंउपजी६ भोजनकरिया उपजीजोतिस ७ अथतिसरोगकोस्वरूपलिष्यते निरंतर पाणी पीतोजाय परतृप्तीहोयनहीं अरपाणीपीवाहीमेमनरहे नदिजाणिजें ईकै तिसरोगछै अथवायकीतिसकोलक्षपलि प्यते मूंदोउन रिजाय कनपटी परसिरमै पीडा होयच्यावै नसां किजाय सूटामैसूरसकोस्वादजातोरहै ठंटोपाएसीपी यांतिसव धेनदिजाणिजेचाय की तिसकोरोगछे प्रथपित्तकीतिसकोलक्ष एलिष्यते मूर्छा होय भोजनप्यारो लागेनही वहहोय नेत्रलाल होय मुषमैघणोसोस होयउंटिसुहावे मूंटोकडवो होय सरीर में तापहोय मलमूत्र नेत्र पीलाहोय येलक्षण होयनदिपित्तकीति सकोरोगजालीजै २ अथकफकीतिसकोलक्षणलिष्यते जठराग्निनैकफरोंकेतदित्र्यग्निकी गरमी हैसी जलनैवहवाली नसांनैसोसि परकफहैसो मनुस्य कैतिस उपजावे तदिवें निसकरिपीडितमनुस्य हैसो नींद सरीर काभास्यापणांनेमासीहोयछे भरवेंकोदोमीठोर है अरोमनुस्यसूकतोजायन दिजाणिजे ईकै कफकी तिस ३ अथशस्त्रादिकाँकीचोट उपजीजोतिसतिकोलक्षणलिष्यते शस्त्रादिकांकाला गिबासूंसरीरकोलोहीनी कलैती सूंपीडा होयतदिघणीतिसला गै ४ प्रथक्षीणतासूं उपजी जोतिसती को लक्षणलिष्य ते हियोइर्षे कंपहोय मूंटोसुकै सरीरमेसून्यताहोय तिसघ लीलागे पीनोपीनोधापैनहीं ५ अरयेही लक्षणबकीतिस काजाणिजे ६ प्रथभोजनउपरांतितिसलागेती कोलक्षण For Private and Personal Use Only
SR No.020035
Book TitleAmrutsagar Vaidyak Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSawai Pratapsinh Maharaj
PublisherGyansagar Press
Publication Year1860
Total Pages590
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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