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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्राकृति निदान दोनों चित्रों में जो अन्तर और परिवर्तन दिखलाई पड़ता है उनपर लोग सहसा विश्वास नहीं करते । आप किसी पत्रमें या अपनी पुस्तकके किसी दूसरे संस्करणमें उन्हें छपाना चाहें तो खुशीसे छपा सकते हैं। आपके चिकित्साशास्त्रमें जो सिद्धान्त बतलाये गये हैं बिलकुल उन्हीं के अनुसार मैंने अपनी चिकित्सा आरम्भ की और उन्हींके अनुसार भोजन भी करने लगा। यदि आप चाहें तो मैं यह लिखकर आपको भेज सकता हूँ कि मैंने आपकी चिकित्सा-प्रणालीके अनुसार किस तरह चिकित्सा भारम्भ की और किस तरह उसपर चलता रहा। मैं आरम्भसे हो अपनी चिकित्साके विषयमें सब बातें डायरी में दर्ज करता रहा हूँ। __ मैं अब भी नित्य तीन बार मेहन-स्नान करता हूँ। हरएक स्नान ३० से लेकर ४० मिनिटतक जारी रहता है । पहला स्नान करीब ६ बजे सवेरे करता हूँ। ८ बजे सवेरेसे लेकर १० बजे सधेरैतक मैं नङ्गे पैर घाममें घूमता हूँ। उसके बाद हर रोज थोडीसी कसरत भी करता हूं। घूमने या कसरत करनेके समयमें सिर्फ कमीज या पाजामा पहने रहता हूं। ६ या १० बजेसे लेकर ११ बजेतक मैं खुली खिड़की के पास बैठकर पढ़ता हूं या खुनी हवाका आनन्द लेता हूं। ११ से लेकर १२ तक मेहन-स्नान करता हूं। १२ से लेकर १ बजेतक भोजन कर लेता हूँ। १ से २ बजेतक मैं आराम करता हूँ। २ जेसे ४ वा ५ बजेतक पढ़ाता हूँ। ५ बजेसे लेकर ६ या ७ बजेतक दूसरी बार For Private And Personal Use Only
SR No.020024
Book TitleAakruti Nidan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLune Kune, Janardan Bhatt, Ramdas Gaud
PublisherHindi Pustak Agency
Publication Year1949
Total Pages160
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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