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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चिकित्साका अभ्यास पेटके दाहिनी ओरवाले मुलायम भागों में बहुतसा सड़ा गला विजा. तीय द्रव्य जमा हुया है जिससे उस ओरके अंा दबेसे हैं । जितने अंग और जितनी इन्द्रियां बदनके बायीं ओर हैं उन सभोंपर भी बादीपनका प्रभाव पड़ेगा जिससे इस बातका डर हो सकता है कि शायद उसके दांतों और कानों में दर्द उठे और उसकी आंखों में सूजन हो जाय या उसके भाधे सिरमें दर्द होने लगे। जितनी तेज बीमारियां हैं, जैसे कि हलककी सूजन, उन सबोंका पहले. पहल दाहिनी ओर अवश्य प्रभाव पड़ेगा लेकिन अगर पसीना जैसा चाहिये वैसा निकलता है तो उस रोगीको सरदी या जुकामसे बहुत कम तकलीफ होगी। इस चिकित्सा, होशियार आदमी तत्काल यह देख लेगा कि तस्वीर नं० १७ में जिस आदमीकी शक्ल दिखलायी गयी है वह वैसी ही नहीं है जैसी चाहिये । उसका बायां कन्धा दाहिने कन्धेसे ज्यादा ऊँचा है। हम यह भी देखते हैं कि उसका सिर बदनके बीचों-बीचवाली लकोरके सीधपर नहीं है बल्कि ज्यादातर दाहिनी ओर झुका हुआ है। बदनका कुल बाई ओर. वाला हिस्सा दाहिनी ओरवाले हिस्से ज्यादा चौड़ा और ज्दा मजबूत है। उसका रंग पीला है। उसके चेहरेपर नाउम्मेदी साफ तौरपर झलक रही है, जिससे जाहिर होता है कि उसके बदनमें सड़ा हुआ विजातीय द्रव्य बहुत ज्यादा जमा For Private And Personal Use Only
SR No.020024
Book TitleAakruti Nidan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLune Kune, Janardan Bhatt, Ramdas Gaud
PublisherHindi Pustak Agency
Publication Year1949
Total Pages160
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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