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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चिकित्साका अभ्यास -- - -- - - - - -- नहीं बल्कि उसके बहुत पीछे कान के पास है। उसकी पीठमें बहुत ही हलका सा बादीपन है। उसकी गरदनके पीछे जोड़ वाली हड्डीपर जो लकीर है वह करीब-करीब अपने ठीक स्थानपर है। अगर सिर ठीक ढंगपर रक्खा जाय तो यह बात अधिक स्पष्टतासे दिखलाई पड़ सकती है । इसके बाद यदि हम उससे कहें कि वह अपना सिर ऊपरकी ओर मोड़े तो हम उसकी दशा और भी अधिक ध्यानसे देख सकते हैं। ध्यानसे देखनेपर आपको मालूम पड़ेगा कि गरदनमें तनावके साथ-साथ सूजन भी है। यदि सिर एक तरफसे दूसरी तरफ मोड़ा जाय तो बगलमें भी हलका सा बादीपन दिखलाई पड़ेगा। लेकिन वहाँपर तनाव बहुत ही कम प्रकट होगा। उसकी आँखों में जो बीमारी है वह सामनेकी मोरके बादीपनसे उत्पन्न हुई है। हम निश्चित रूपसे कह सकते हैं कि उसके बदनका कुल सामनेवाला भाग बाहीपनसे भरा हुआ है। देखिये उसका पेट खास तौरपर बादीपन के कारण आगेकी ओर निकला हुआ है। पर इस लड़कीके बगलवाले भागोंमें बादीपन इतना अधिक नहीं है कि उससे कोई घबड़ाहट पैदा हो। सिरमें बादीपन बढ़ता जा रहा था इसीसे नेत्रोंपर भी उसका प्रभाव पड़ा, पर सौभाग्यरे हम उस लड़की को यह सान्त्वना दे सकते हैं कि तुम्हारे शरीर में विशेषतः सामने की ओर बादीपन है इसलिये तुम्हारा रोग अन्य रोगोंकी अपेक्षा अधिक सरलतासे दूर हो सकता है। For Private And Personal Use Only
SR No.020024
Book TitleAakruti Nidan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLune Kune, Janardan Bhatt, Ramdas Gaud
PublisherHindi Pustak Agency
Publication Year1949
Total Pages160
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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