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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भाकृति-निदान क्या है भयानक परिणाम हो सकता है, क्योंकि जो विजातीय द्रव्य पसीनेसे निकलता वह उस शरीरमें भीतर हो जमा होने लगता है। सम्भव है वह विजातीय द्रव्य किसी विशेष मर्म-स्थानमें एकत्र हो जाये। ___ गुर्दा भी पाचनका काम करनेवाली इन्द्रियों में से है। बदनके दादीपनकी प्रत्येक दशामें मुह बीमारीका शिकार हो सकता है। गुर्दे की दशाका अनुशन गुर्दे से निकलनेवाले पेशाबकी रङ्गतसे लगा सकते हैं। (देखो पृष्ठ ३) पीठ और बगलके बादीपनमें गुर्दे की दशा चिन्ता बनक हो जाती है क्योंकि ऐसी दशामें पसीना काफी नहीं निकलता और आँखों के नीचे मुलायम और पानीदार थैली सी बन जाती है ओ गुर्दे में किसी रोगके होनेका निःसंशय चिह्न है। पाचनेन्द्रियोंमें बहुत ज्यादा बादीपन रहनेपर जननेन्द्रियों में और विशेषतः स्त्रियोंकी जननेन्द्रियों में बादीपन श्रा जाता है। लेकिन साधारणतः जननेन्द्रियों में बादोपन बहुत समयके बाद आता है और तभी आता है जब कि बादीपन बहुत गहरा रहता है। इससे प्रकृतिका यह प्रबन्ध स्पष्ट होता है कि प्रजाकी उत्पत्तिमें बहुत जल्दी रुकावट न पड़े। खियों में जननेन्द्रियकी बीमारियाँ दो तरहसे पैदा हो सकती हैं । एक तो आंतवाले रास्ते में बहुत ज्यादा बादीपन का जानेसे गर्भाशयका दब जानः या दबकर एक तरफ हो जाना है और उससे गर्भाशयका टेढ़ा पड़ जाना दूसरे स्वयं जननेन्द्रिय में ही बादीपन आ जाता है। पर दूसरी हालत तभी पायी जाती है जब कि पीठको ओर बादीपन For Private And Personal Use Only
SR No.020024
Book TitleAakruti Nidan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLune Kune, Janardan Bhatt, Ramdas Gaud
PublisherHindi Pustak Agency
Publication Year1949
Total Pages160
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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