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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir आकृति निदान सूर्य्यसे आती तो ऊँचाईपर भी वे अपना प्रभाव पैदा करतीं। पृथ्वी बहुत जल्द हवाको गरम बना सकती है। अगर सूर्य वांस्तवमें गरमीको चारों ओर फैलाता है तो वह हवाको भी क्यों गरम नहीं बना सकता? ___ यदि पृथ्वी ही रोशनी और गरमीको पैदा करती है तो यह साफ जाहिर है कि रोशनी और गरमी उन जगहोंमें अर्थात् उन्कटिबन्ध प्रदेशोंमें बहुत ही तेज होगी जहां पृथ्वीकी गति और उसकी रगड़ सबसे ज्यादा होगी। उत्तरी और दक्षिणी ध्रु बोंमें पृथ्वीका रगड़ आमतौरपर बिल्कुल ही नहीं लेती। इसीलिए वहां बिल्कुल ही सरदी और निर्जीविता बनी रहती है। अगर हवाके द्वारा गरम प्रदेशोंसे गरमी वहांतक न पहुँचे तो सरदी और भी तेज होगी। इस प्रकार यह भी साफ जाहिर है कि क्यों सिर्फ एक ही उष्ण प्रदेश, दो समशीतोष्ण प्रदेश और दो शीत प्रदेश हैं। __वसवीर नं० ५३ और ५४ में यह दिखलाया गया है कि पृथ्वी घूम रही है। तीरका मुंह बिस ओर है उसी ओर पृथ्वी घूम रही है। "म" से वह स्थान सूचित किया गया है। जहांसे हम खड़े हुए इस घटनाको देख रहे हैं। सूर्यकी किरणें एक दूसरेसे समानान्तरपर एक ही ओर गिरती हैं, पर पृथ्वी अपना स्थान बदलती रहती है । तसवीर नं० ५३ में ठीक सूर्योदयके समय पृथ्वीकी अवस्था दिखलायी गयी है। तसवीर नं. ५४ में, पृथ्वीकी वह अवस्था दिखलायी गयी है जब कि सूर्य्य अस्त हो रहा है। For Private And Personal Use Only
SR No.020024
Book TitleAakruti Nidan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLune Kune, Janardan Bhatt, Ramdas Gaud
PublisherHindi Pustak Agency
Publication Year1949
Total Pages160
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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