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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भाकृति निदान थोड़ा बहुत चारा उस समय मिल सकता है उसीसे उनका सन्तोष हो जाता है। शान्ति देनेवाले भागमें पाचन शक्ति धीरे धीरे कमजोर पड़ जाती है । इसलिये मनुष्यों को भी चाहिये कि वे उस भागमें कम भोजन करें। इसीलिये जाड़ेमें उपवास करना अच्छा है। अभाग्यसे हम बिल्कुल इसके विपरीत आचरण करते हैं । बाड़ेमें हम हर एक प्रकारका त्यौहार और उत्सव मनाते हैं। डाक्टर लोग भी हमें इस बातका उपदेश देते हैं कि इस ऋतुमें ज्यादा खाना खाना चाहिये, जिसमें कि हम सरदीका मुकाबिला अच्छी तरह कर सकें। यह एक ऐसी गलती है जिसका परिणाम बड़ा ही दुःखमय है । प्राकृतिक दशामें रहनेवाले जङ्गली जानवरोंपर एक नजर डालनेसे आपकी आँखें खुल सकती हैं । जानवरों की रखवाली करनेवाले और जङ्गलोंको ताकनेगले मनुष्य यह अच्छी तरहसे जानते हैं कि जो जानवर जाड़ेमें बहुत ज्यादा चारा खाते हैं वे तन्दुरुस्त नहीं रहते। ____ उष्णकटिबन्ध प्रदेशों में जहाँ कि सूर्यको अवस्थामें बहुत कम परिवर्तन होता है चन्द्रमाका प्रभाव अधिक पड़ता है । उक्त प्रदेशों में उत्तेजना और शान्ति देनेवाले भाग बारी बारीसे महीने में दो बार आते हैं. पर दैनिक परिवर्तन वैसा ही होता है जैसा कि और प्रदेशों में देखा जाता है । उष्णकटिबन्ध प्रदेशोंमें यह देखा नका है कि जो शइतीरें चन्द्रमाके बढ़ने के समय गिरायी जाती हैं वे सुरक्षित नहीं रहती पर जो शहतीरें चन्द्रमाके क्षीण होने के समय मिरायी जाती हैं के बहुल उत्तम होती हैं। इसी बसहये जो बातें For Private And Personal Use Only
SR No.020024
Book TitleAakruti Nidan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLune Kune, Janardan Bhatt, Ramdas Gaud
PublisherHindi Pustak Agency
Publication Year1949
Total Pages160
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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