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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ६४ आकृति - निदान तीसरे पहर धीरे-धीरे हम अपनी शक्तिको शिथिल कर दें और शाम के वक्त जल्दी ही बिस्तरेपर चले जाँय । तेज और गहरी बीमारियाँ दिनके उत्तर भागमें अधिक भयानक और अधिक पीड़ा देनेवाला स्वरूप प्रहण करती हैं क्योंकि उस समय शरीर रोगका मुकाबला इतनी अच्छी तरह नहीं कर सकता । कौन ऐसा मनुष्य है जिसने इस बातपर ध्यान न दिया हो कि बुखार हमेशा शाम के वक्त बढ़ जाता है। इसका कारण यह है कि उस समय शरीर के सब अंग शिथिल और कमजोर पड़ जाते हैं । इसी तरह से साल भी दो भागों में बांटा जा सकता है अर्थात् एक उत्तेजना देनेवाला और दूसरा शांति देनेवाला भाग । पहला भाग उत्तरायणसे प्रारम्भ होता है । उस समय हर एक जाति में इस घटना की यादगारमें कोई न कोई बड़ा त्यौहार या उत्सव मनका भाव आपही आप पैदा हो जाता है। कुहरा और सरदी में भी उत्तेजना देनेवाले समयका प्रभाव आप ही आप प्रगट हो जाता है । बसन्त ऋतु में तो यह प्रभाव आप हर एक जगह साफ तौरपर अनुभव कर सकते हैं। पेड़ोंपर इसका प्रभाव आसानीसे मालूम किया जा सकता है। जो शहतीर शरद ऋतु गिरायी जाती है वह अच्छी और मजबूत बनी रहती है पर जो शहतीर फरवरीतक में नहीं गिरायी जाती वह मजबूत नहीं रहती और बहुत जल्द उसमें दीमक लग जाते हैं। वर्षके उत्तेजना देनेवाले भागमें हम कुल प्रकृति में नव जीवन For Private And Personal Use Only
SR No.020024
Book TitleAakruti Nidan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLune Kune, Janardan Bhatt, Ramdas Gaud
PublisherHindi Pustak Agency
Publication Year1949
Total Pages160
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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