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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir बादीपनका इलाज ८१ हुई रोटी खानेकी अपेक्षा दलिया और मोटे आटे की रोटी खाना ज्यादा अच्छा है, क्योंकि अनानके ऊपरकी पोर बालूके छोटेछोटे करण जरूर लगे रहते हैं । जानवरों के बारेमें खूब जांच करनेके बाद मैं इस बातके निश्चय करने में लग गया कि बालूके छोटे-छोटे कणों के खाने से मनुष्यों पर क्या प्रभाव पड़ता है। इस जांच के जो नतीजे निकले हैं उनसे मुझे बड़ा सन्तोष हुआ है और मैं उन्हें यहांपर प्रकाशित कर देना चाहता हूँ। मैंने समुद्र के किनारेपरकी बढ़िया से बढ़िया बालू चुनकर मँगवायी, पर नदीके किनारेवाली बढ़िया बालू से भी काम चल सकता है। मैंने बालू जर्मन समुद्र के किनारेपर से मँग वायी थी । यह बालू इतनी उम्दा और महीन थी कि आसानी के साथ निगली जा सकती थी । इस तरह की बालू में छुतैले जहरको मारनेवाली खासियत भी रहती है । यह आजमाइश आप खुद कर सकते हैं। जिस कमरेकी हवा बिनौला या दूध जलने से खराब हो गयी हो उसमें दो चार मुट्ठी बालूको तपे हुए तवेपर गरम कर लीजिए। आपको यह देखकर ताज्जुब होगा कि इस उपाय से उस कमरे की दुर्गन्ध कैसे जल्दी गायब हो गयी । जबतक यह आजमाइश जारी रहे तबतक खिड़कियों और दरवाजोंको बन्द रखना चाहिये, जिसमें कि बालूका पूरा असर ज्यादा अच्छी तरह देखा जा सके | बालूदार प्रदेशों की हवा हमेशा साफ रहती है, क्योंकि वहां बालू प्रकृतिकी भोर मानों छूत और जहर मारनेवाली दवाका For Private And Personal Use Only
SR No.020024
Book TitleAakruti Nidan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLune Kune, Janardan Bhatt, Ramdas Gaud
PublisherHindi Pustak Agency
Publication Year1949
Total Pages160
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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