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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobatirth.org ७६ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir आकृति निदान यदि पाचन-‍ - शक्ति निर्बल हो जाय तो हमें उसे फिरसे सुधारनेका उपाय करना चाहिये । शरीर जितना भोजन पचा सकता हैं उससे अधिक भोजन शरीरमें कभी न पहुँचाना चाहिये । यदि हम अपनी पाचन शक्तिको प्राकृतिक रूपसे ठीक कर लें तो कुछ समय में शरीर आप ही आप दृढ़ हो जायगा और उसीके साथ हमारी जीवन शक्ति भी बढ़ जायगी । जिन बातों से हमारी पाचन शक्ति ठीक रह सकती है अब उनके विषय में हम कुछ लिखना चाहते हैं । ( २ ) क्या खाना चाहिये ? इस विषय में मैं अपने नये आरोग्यसाधनमें विस्तार पूर्वक लिख चुका हूँ पर यहां कुछ मुख्य मुख्य बातों पर ध्यान दिलाना चाहता हूँ । 1 भोजन हमारी प्रकृतिके अनुकूल होना चाहिये । प्रकृति के विरुद्ध कभी कोई चीज न खानी चाहिये । इसीलिये मैं मांस खाने के पक्ष में नहीं हूं, क्योंकि अप्राकृतिक है नये आरोग्य साधनमें भोजन प्रकरण देखिये । we प्रकृति ने हमें दांत इसलिये दिये हैं कि हम भोजनको चबाकर निगलें | इससे यह सिद्ध होता है कि हमें खासकर ठोस भोजन खाना चाहिये, पर मैं किसी तरह इस बातकी सिफारिश नहीं कर सकता कि सूखे फल खाये जायं १ जिन लोगोंको अनपच रहता हो उन्हें तो खास तौरपर यह बात For Private And Personal Use Only
SR No.020024
Book TitleAakruti Nidan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLune Kune, Janardan Bhatt, Ramdas Gaud
PublisherHindi Pustak Agency
Publication Year1949
Total Pages160
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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