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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अकबर की धार्मिक नीति assemblage of the wise of every religion and sect."21. हिन्दू, जैन, ईसाई, सिख आदि धर्माचायों औरतों ने अकबर के सामने अपने अपने धर्म के श्रेष्ठ सिद्धान्तों का प्रतिपादन किया । हिन्दू धर्मने अकबर को अत्यधिक प्रभावीत किया । हिन्दू विद्वानों में पुरुषो और देवी प्रमुख थे । रात्रि के समय ये लोग बादशाह शयन कक्ष के करोखों के समीप उपस्थित होते थे और यहां हिन्दू धर्मं सिद्धान्तों की विशद व्याख्या करते थे। देवी ने कर्म तथा पुर्नजन्म का रहस्य बताया । इनके प्रभाव से अकबर आत्मा के आवागमन में विश्वास रखने लगा था । हिन्दुओं के देवी देवताओं और अवतारों के प्रति वह विश्वास करने लगा था । बदायूंनी लिहता है कि " सात नक्षत्र सप्ताह के प्रत्येक चिन से सम्बन्धित होते है । इनमें से प्रत्येक के रंग के अनुसार अकबर ने उस दिन के पहनने के लिये अपनी वेश जैनाचार्य सीरविजय सूरि, विजय सेन सूरि तथा जिन चन्द्रसूरि ने अकबर को जैन धर्म के सिद्धान्तों की ओर आकर्षित किया । इनके प्रभाव से अकबर ने पिंजड़े मैं बन्ध पक्षियों को मुक्त कर दिया । कुछ समय के लिये पशुओं का वध और आखेट बन्द कर दिया तथा मांस खाना भी त्याग दिया । Smith says: He cared little - भूषा बनवाई थी २२ मानुचन्द्र उपाध्याय for flesh food, and gave up the use of it almost entir ely in the later years of his life, when he came under Jain influence."23 अकबर '' 'जब अपने बर्ताव में इतना परिवर्तन कर दिया था तब इससे यह परिणाम निकालना क्या बुरा है कि उसके दया सम्वन्धि विचार बहुत ही उच्च कोटि पर पहुंच गये थे । अकबर का कहना था कि 21 Akbarnama Trans, by H.Beveridge Vol. III P. 366. 22- AL-Badaoni Trans, by W.H.Lowe Vol. II P. 268. 23 Smith Akbar the great Mosul Po 335 For Private And Personal Use Only 59
SR No.020023
Book TitleAkbar ki Dharmik Niti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNina Jain
PublisherMaharani Lakshmibhai Kala evam Vanijya Mahavidyalay
Publication Year1977
Total Pages155
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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