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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अकबर की धार्मिक नीति शाह बकुल माली, बैराम सां, और तारवी वैग । इन चारों में से जब बैराम खां को अकबर का संरपाक नियुक्त कर दिया तो अन्य तीनों बराम खां से कटुता और वैमनस्य रस लगे । ___ अकबर के तीन अफगान प्रतिबन्दी थे- सिकन्दर सर, मुहम्मद - आदिल शाह और इब्राहीम सूर । ये दिल्ली सिंहासन के बाकांडणी थे। एक बात और भी थी कि भारत में अभी तक मुगलों को विदेशी समझ कर हीनता तथा घृणा से देखा जाता था । अकबर के पूर्वज तैमर की लूट मार, विध्वंसकारी कार्य और नृशंस हत्याओं के कारण भारतीयों के दिलों में मुगलों के प्रति स्वाभाविक घृणा पैदा हो गई थी। बाबर जोर हुमाय ने भी कोई लोकोपयोगी कार्य नहीं किये जिससे जनता का सौनाई उन्कै मिलता । गोडवाना स्वतंत्र राज्य था । गुजरात में मुसलमान सुलतान मुजफफर शाह राज्य कर रहा था और मालवा में शुजात लां का उत्तराधिकारी बाज बहादुर स्वतंत्र शासक था । इस प्रकार सारा देश स्वतंत्र राज्यों में विभाजित था । स्मिथ कहता है" जब अकबर कलानोर में तख्त पर का तो यह नहीं कहा जा सकता था कि उसके पास कोई राज्य था । बरराम खां के नेतृत्व में जो छोटी सी सेना थी, उसका कुछ डगमगाता हुआ सा अधिकार पंजाब के कुछ जिलों पर था और वह सेना भी ऐसी नहीं थी जिस पर पूरा विश्वास किया जा सके । अकबर को वास्तव में सम्राट बनने के लिये यह सिद्ध करना। था कि वह इसरे उम्मीदवारों की अपेक्षा अधिक योग्य है और कम से कम ! उसको अपने पिता का खोया हुवा राज्य तो पुन: प्राप्त करना ही था इस समय भारत की वार्षिक स्थिति तो राजनैतिक स्थिति से मी, अधिक खराव थी । अवर फक लिखता है कि अकाल की भयंकरता के २ - एस. बार, शमा हिन्दी अनुवादक मथुरालाल मा - भारत में मुगल साम्राज्य - पृष्ठ १५५ For Private And Personal Use Only
SR No.020023
Book TitleAkbar ki Dharmik Niti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNina Jain
PublisherMaharani Lakshmibhai Kala evam Vanijya Mahavidyalay
Publication Year1977
Total Pages155
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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