SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 55
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra अकबर की धार्मिक नीति www.kobatirth.org धार्मिक नीति को प्रभावित करने वाले तत्व MAN CARE - en aan de die N QUE CE QU - Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir For Private And Personal Use Only ए - चौदहवी और पन्द्रहवीं शताब्दी में धर्म के नाम पर अनेक अमानुि अत्याचार हुए । पर अकबर ने पूर्ववर्ती सुल्तानों की संकीर्ण कट्टर धार्मिक नीति का परित्याग करके सुलह कुल की नीति अपनाई, अपूर्व धार्मिक सहिष्णुता स्थापित की । सभी धर्माविम्वियों को समान माना तथा उनके साथ निष्पदा व्यवहार किया । उसने एक संकीर्ण, साम्प्रदायिक, राजसत्ता की विचार धारा को परिष्कृत और परिवर्तित कर दिया । अकबर की धारणा थी कि इस्लाम के सिद्धान्त संकीर्ण, एकांगी और पाषाण के समान निर्जीव नहीं, अपितु व्यापक, गतीशील तथा जाग्रत संस्था के रूप में है, जो देश, काल और परिस्थितियों के अनुकूल संशोधित, परिवर्तित वोर परिष्कृत किये जा सकते हैं । अकबर के इन व्यापक दृष्टि कोण से मुगल राजसत्ता का स्वरूप एकदम परिष्कृत हो गया । उसने धर्म, सम्प्रदाय, नस्ट या अन्य किसी आधार पर मनुयों में मेद माव करना मानवता और नैसर्गिक सत्य धर्म के विरुद्ध समा उसने इस्लामी विधी विधानों को जो या तो साम्प्रदायिक तथा अन्य असहिष्णुता पूर्ण भेद भाव के बाधार थे अथवा हिन्दू मुसलिम मतमेद को समर्थन देते थे, स्थगित कर दिया और हिन्दुर्वा को भी शासन के उच्च पद पर नियुक्त किया । जब टोडरमल की पदोन्नति हुई तब मुसलमान अमीरों और पदाधिकारियों ने ईर्ष्या और द्वेष से इस निर्णय का विशेष किया और अकबर से प्रार्थना की कि टोडर मल को उसके पद से पृथक कर दिया जाये । इस पर अकबर ने रुष्ट होकर कहा कि तुम से प्रत्येक ने अपने निवास गृह में हिन्दुओं को नियुक्त कर रखा मैं है, तो फिर मैंने एक हिन्दू को रखने में क्या गलती की है ।" १ 1- Al-Badaoni. Vol. II Trans, by W.H. Lowe - P. 65. 42 0
SR No.020023
Book TitleAkbar ki Dharmik Niti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNina Jain
PublisherMaharani Lakshmibhai Kala evam Vanijya Mahavidyalay
Publication Year1977
Total Pages155
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy