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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra अकबर की धार्मिक नीति www.kobatirth.org 25 के प्रति रूचि उत्पन्न हुई और वह ताड़ी पीने लगा पर प्रौढावस्था में ताड़ी पीना छोड़ दिया । अयबर अफीम के निद्राकारी नियोजन को व पसंद करता था, अफीम की बनी हुई कई बीजे खाता था परन्तु प्रौढावस्था में उसने मपान त्याग दिया । यवपि अकबर के समय मैं तम्बाकू और हुक्के का प्रचार व्यापक रूप से हो गया था पर वह स्वयं तम्बाकू नहीं पीता था । अकबरफलों का शौकीन था | Jahangir says: Akbar had a great liking for fruit, especially grapes, melons and pomegranates, and was in the habit of eating! it whenever he indulged in either vine or opium. "6 Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अकबर विनोदी स्वभाव का प्रसन्नचित्त वाला व्यक्तिा था । मधुरवचन बोलना उसका स्वभाव था । अहंकार तथा दृष्य से उसे घृणा थी । वह एक मिलन सार नरेश था और छोड़े बड़े सभी व्यक्तियों से मिलता था । वह अपने सद्व्यवहार और मधुर स्वभाव के कारण अपने बमीरी, सामन्ती, दरबारियोतथा प्रजाजनों में अत्यन्त लोकप्रिय था । इस विशेषता के कारण सभी उसके प्रति श्रद्धा रखते थे । उसके व्यक्त्वि एक खास गुण यह था कि वह अपना काम मीठा बन कर निकालने का ही प्रयत्न करता था । वह मानता था कि कार मीठी दवा से रोग मिटवा हो तो कड़वी दवा का उपयोग नहीं करना चाहिये । इसी नीति के व्याश उसने अनेक राज्यों वीर वीरों को अपने अधीन कर लिया था । उसका व्यवहार उच्च कोटि का था और वह सदा न्याय का पदा ग्रहण करता था । 6 Turuk-1-Jahangir Translated by Rogers and Beveridge Vol. I P. 270- 350. For Private And Personal Use Only
SR No.020023
Book TitleAkbar ki Dharmik Niti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNina Jain
PublisherMaharani Lakshmibhai Kala evam Vanijya Mahavidyalay
Publication Year1977
Total Pages155
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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