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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अकबर की धार्मिक नीति बकबर का व्यक्तित्व बमीर मुर ने भारत वर्ग को तलवार के और से जीता था। पर या एक बाल था कि वाया, गरजा, परसा बोर देखते देखते गया । बाबर उसके पड़पोने का पोता था जो उसके सवा सौ वर्ष बाद । दुवा था । उसने साधाग्य की स्थापना बारम्भ की थी, पर इसी प्रयत्न में उमा देहान्त हो गया । उसके पुत्रहमाय ने साम्राज्य प्रसाद की नींव डाही बार मी रखी, पर शेरशाह के प्रताप ने उसे मन में किया। वन्तिम अवस्था में जब फिर उसकी बोर प्रताप रूपी वायु का फोका बाया, तब बायु ने उसका साथ दिया । बन्त मन१५५६ प्रताप शाठी अकबर ने राज्यारोहण क्यिा । तेरह परब के छहक की क्या बिसात, पर ईश्वर की महिमा देतो कि उसने साम्राज्य प्रसाद को इतनी ऊंचाई तक पहुंचाया और नींव को ऐसा किया कि पीलियो ता वहन लिी । वह खिना पड़ना नही जानता था, पर फिर भी अपनी पति केस स्सी कम से किस गया कि का उम्मै पिस पिस कर मिटावा , पर वे जितना घिसते है उना ही चमकते जाते है । उसकी गणना विश्व के शक्तिशाली बमातम शासका। में की जाती है। उसके व्यक्तित्व के विषय में उस मकालीन इतिहास कारी ने प्रकाश डाला । पुर्तगाली मा शिर मण्डल के पापरी मांगरेट और बाबा के पुत्र जहांगीर ने बाबर के व्यक्तित्व का विस्तृत वर्णन किया है। According to father Monserrate : He was in face and statwo fit for the deity of king, so that any body, even at the first dance, would any recom15 For Private And Personal Use Only
SR No.020023
Book TitleAkbar ki Dharmik Niti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNina Jain
PublisherMaharani Lakshmibhai Kala evam Vanijya Mahavidyalay
Publication Year1977
Total Pages155
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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