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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अकबर की धार्मिक नीति हिन्दुओं को अलाउद्दीन फूटी आंखों भी समृद्ध नहीं देखना चाहता था । उसने अपने शासन में हिन्दुओं को अत्याधिक पीन हीन बना दिया था । काजी मुगीस व्वारा दिये गये उत्तर को बरनी ने लिखा है कि" हिन्दु मुस्तफा के दुश्मनों में सब से बड़े दुश्मन है मुस्तफा बल्ले िहस्सलाम ने हिन्दुओं के विषय में यह बाशा दी है कि उनकी हत्या। कर दी जाय उनकी धन सम्पत्ति लूट ली जाय या उन बन्दी बना ख्यिा ! जाय या तो उनसे इस्लाम स्वीकार करा लिया जाय बन्यथा हत्या करपी! जाय । १५ इस समकालीन इतिहासकार के वर्णन से हिन्दुओं की दीन । स्थिति का स्पष्ट चित्र समपा बा जाता है किन्तु निजामी इसकी बाली-1 चना करते हुए बताते है कि पैगम्बर ने कभी हिन्दू को नहीं देखा । और न ही वाद के छ: पुन्नी शास्त्रों में इसका वर्णन है।"१६ कुछ भी हो यह तो निश्चित है कि बलाउद्दीन हिन्दुओं को निम्नतम स्थिति तक ले पाना चाहता था फरत: हिन्दुओं को जीवन यापन अत्यधिक कठिन हो गया । इस लिये बरनी लिखता है कि "Teन्दुओं को लज्जित पतित और दरिद्र बना दिया है । मैंने सुना है कि हिन्दुओं की स्त्रियां तथा वालक मुसलमानों के व्दार पर भीख मांगा करती है । १७ इस प्रकार अलाउदीन कटटर मान्य सिद्ध हुबा जिसने इस्लाम की रक्षा के लिये काफिरी का सफाया कर दिया । तुगलक वंश के मुल्तानों की पार्मिक नीति : - - - -- - - - तुगलक शासकों में बार्मिक नीति के विभिन्न पल हम देखने की मिलते है । जहां एक और प्रारम्भिक काल में मोहम्मद धर्म को कोई प्रापनिकता नहीं वही फीरोज प्रारम्भ से ही कटटर सन्धि पा । स प्रार १५ - रिजवी - खिलजी कालीन भारत - पृष्ठ ७० १६ • निजामी - दी कोम्पीसिव हिस्ट्री जांफ इन्डिया - दी येल्ली १७ • रिजवी खिलजी कालीन भारत ०७१, सल्तनत भाग ५ पृ० ३१७ For Private And Personal Use Only
SR No.020023
Book TitleAkbar ki Dharmik Niti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNina Jain
PublisherMaharani Lakshmibhai Kala evam Vanijya Mahavidyalay
Publication Year1977
Total Pages155
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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