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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ਜਦ ਸੰਨ ਜੀਓ 110 ५ - कासिम काबुली, कवि ६ - अव्दुल समद, दरवार का चित्रकार बार कवि । ७- बाजा बा कोका, मक्के से लौटने पर ८ - मुला शाह - मुहम्मद शाहाबादी, इतिहास - लेखक : सूफी अहमद । १० - सदर जहान, सारे भारत के प्रधान मुफती और ( ११-१२ ) इनके दोनों पुत्र! १३ - मीर शरीफ उपली, १४ - सुल्तान ख्वाजा सदर, १५ - मिरजा! जानी, ठठठे का हाकिम, १६ - नकी शोस्तरी कवि और दो सदी • मन सबदार १७ शेखजादा गोसाला बनारसी १८ बीरबल । १६ मगर्व-न्त दास, मानसिह बोर टोडरमल जैसे लब्ध प्रतिष्ठित उच्च पदाधिकारी पी इसके सदस्य नहीं थे। प्रतिक्षित व्यक्तियों में से केवल बीरक ने ही इसे स्वीकार किया। दीन इलाही की असफलता : दीनालाही अकबर की मृत्यु के साथ ही समाप्त हो गया । यह साधारण लोगों को अपनी ओर आकृर्णित नही कर सका और न ही जनता में लोक प्रिय बन सका । दीन इलाही के प्रचार बार प्रसार के लिये अकबर ने ईसाई . मिशनरियों के समान या यूरोप के ईसाई राजाओं के समान कार्य नहीं किये । इसके राज व्यापी प्रचार के लिये अकबर ने राज्य स्तर पर कोई विभाग या अधिकारी नियुक्त नहीं किये, कोहँ नियम या उप नियम नही बनाये । शासकीय या अशासकीय स्तर पर कोई संगठन या संस्था मी स्थापित नही की और न किसी प्रकार का पुरोहित वर्ग ही प्रतिष्ठित किया। दीनालाही स्वीकार करने के लिये अकबर ने किसी को बाध्य नहीं किया । इस मत का अनुयायी बनने के लिये अकबर ने साम, दाम, दण्ड भेद से किसी को बाध्य नहीं किया । इस सम्प्रदाय में सम्मिलित १६ - अकवरी दरबार हिन्दी अनुवादक रामचन्द्र वर्मा पहला भाग ०१४६-४२ For Private And Personal Use Only
SR No.020023
Book TitleAkbar ki Dharmik Niti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNina Jain
PublisherMaharani Lakshmibhai Kala evam Vanijya Mahavidyalay
Publication Year1977
Total Pages155
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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