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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मकर की धार्मिक नीति 9 राजकोण से की । प्रति वर्ण वह एक प्रमुख अकिारी को हब से यात्रियों की सम्भाल करने की व्यवस्था के लिये उनके साथ वाने जाने के लिये - नियुक्त करता था। और उरे मीर हज या हामी कहा जाता था । २४ महबर की घोषणा के बाद भी अकबर १४ अक्टूबर १७६ को तीर्थ यात्रा के लिये बोर सन्त की मजार से बार्शीवाद प्राप्त करने के लिये अजमेर में । स्वाजा की दरगाह पर गया था । वापसी यात्रा में उसे नमाज के लिये । एक विशेण डेरे या खेमे की व्यवस्था की । इसमें वह नमाज पढ़ता था, जैसा कि कर्म निष्ठ मुसलमान करता है। अमेर के मजार की वह जियारत करता रहा । ३० जुलाई १५६० को अजमेर के स्वाजा की व होने से अकबर ने इस समय अपने पुत्र दानियाल को अपने प्रतिनिधि के रूप में अजमेर मेजा । वानं उसने बहुत सा न गरीव व फकीरों में बांटार५/ ___ इन उपरोक्त उदार में स्पष्ट है कि अनुदार उल्मा ने अकबर पर जो दोग लगाये थे, वे निराधार है। .. . 24Also Bedlami Trans, by W.H.love. Vol. III P.313. 25. Al-Ba daani Trans, By W.H. Love Vol. II P.P, 280-87. + + + + + + + + For Private And Personal Use Only
SR No.020023
Book TitleAkbar ki Dharmik Niti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNina Jain
PublisherMaharani Lakshmibhai Kala evam Vanijya Mahavidyalay
Publication Year1977
Total Pages155
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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