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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ਜਦ ਜਨ ਜੀਓ विज्ञान का प्रचार विस्तार करते है तथा मुक्ति के मार्ग दर्शक बने हुए है, वरम और फारस से यहां वाकर बस गये है । अब हम प्रमुख उठेमा, जो केवल कानून के विभिन्न अंगों के ही विशेषज्ञ और ज्ञाता नहीं, तर्क और प्रमाण पर आधारित निया से ही परिचित नहीं है, बल्कि अपनी सच्चाई और सदाशयता के लिये भी प्रसिद्ध है । प्रथम तो हमने कुरान की बायत"श्वर की बोर पैगम्बर की वीर उनकी तुम में, जिन्हें सत्ता प्राप्त है बाजा पालन करणे । " दूसरे सच्ची परम्परा जो बादमी क्यामत! के दिन बुदा का प्यारा होता है, वही असली नेता होता है, जो अमीर! की बाशा का पालन करता है, वह मेरी वाज्ञा का पालन करता है, और जो उसके प्रति विद्रोह करता है, वह मेरे प्रति विद्रोह करता है, सिद्धान्त का और तीसरे तर्क और प्रमाण पर बाधारित अन्य अनेक सबूतों का बच्छी तरह से मम समझ लिया है । और हम इस निश्चय पर पहुंचे है कि न्याय प्रिय राजा का स्थान हश्वरीय दृष्टि में मुगज हिन्द (धार्मिक नेता ) से कहीं ऊंचा होता है।" "आगे हम यह घोणित करते है कि इस्लाम शाह का राजा, मानवता का बाय स्थल, स्वाभिमा का सेनापति, संसार में स्वर का स्वरूप, बगुल फजह जलालुदीन मुहम्मद अकबर, बादशाहे गाजी, सब से अधिक न्याय प्रिय और बुद्धि मान राजा है और उसे ईश्वर का ज्ञान प्राप्त है।" इस लिये यदि भविष्य में ऐसे धार्मिक प्रश्न खड़े हो जिन पर मुजत हिन्दी की राये भिन्न भिन्न हो तो सम्राट अपनी सूक्ष्म दृष्टि और बुद्धिमत्ता के अनुसार सुव्यवस्था की दृष्टि से देश की भलाई के लिये इन विरोधी मतों में से किसी एक को स्वीकार करने की कृपा करेंगे, और यह मत ही उसकी सारी प्रजा पर लागू समझा जायेगा ।" यदि सम्राट कुरान के अनुसार तथा देश के हित में कोई नहीं - For Private And Personal Use Only
SR No.020023
Book TitleAkbar ki Dharmik Niti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNina Jain
PublisherMaharani Lakshmibhai Kala evam Vanijya Mahavidyalay
Publication Year1977
Total Pages155
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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