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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org गोपीचक्रकी भेषजी । हितकरी लिखी रसाल || जीवन लग कहे प्रगट है । गुरुद्रोही विषाल चंद्रावती आदिसरे । लीख्यो जानि शनीवार ।। जयनगर के श्रावगी । अजवराम कहे वाय ॥ श्रीनागार्जुनकृतगोपीचक्रकल्पं सम्पूर्णम् ॥ Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir ॥३४॥ | ॥३५॥ 4499602+++ प्रिय पाठकोंको खुश खबर - खास कामरूप देशोत्पन्न वह असली "सियाल सिंगी" जिसकी तारीफ में लोग यह कहा करते हैं कि" सियाल सिंगी श्वेतवाजा, क्या करेगा रूठा राजा " जिसको हमने गहरे श्रमके साथ प्राप्त की है । For Private And Personal Use Only इसको विधि पूर्वक मंत्रसे मंत्रित करके पास रखनेवालोंकी सर्वेच्छाओंकी सिद्धी होती हैं. तथा — इसके प्रभावसे. राजसभामें सन्मान, मुकदमोंमें विजय प्राप्त, भूत पिशाचादिकों का उत्पात नष्ट ३६० मूठ अपने शरीर| पर नही आता कामरू देशके लोक मंत्रितकर जांघको चीरकरबीच में रखते है और राजयक्षमादि- राजरोग नष्ट हो जाते हैं. शत्रुभी वशमे होकर शरणमें आजाता है. वशीकरण में भी यह सियाल सिंगी अपने ढंगकी एक है. जिन महानुभावोंका आवश्यकता हो निम्न पत्तेसे मंगाले न्योछावर रू. ५ से २५ पर्यंत आकाश गामिनी विद्याकल्प おおおおお M
SR No.020022
Book TitleAkashgamini Padlepvidhi kalpa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSiddh Nagarjun
PublisherJain Prachin Sahityoddhar Granthawali
Publication Year1941
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual, & Vidhi
File Size2 MB
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