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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org २५ -जाति बीसा, दस्सा और पंजा का यह भेद केवल अग्रवालों में ही नहीं है । अन्य भी अनेक जातियों में ये भेद पाये जाते हैं । उनमें भी इस भेद का आधार रक्त की शुद्धता ही समझा जाता है । दर अग्रवालों के दो मुख्य भेद हैं-- कदीमी और हाल के । हाल के दस्सों को जगीद भी कहते हैं । कदीमी अग्रवाल मुख्यतया अलीगढ़, खुर्जा और बुलन्दशहर में पाये जाते हैं। हाल के (जगीद) अग्रवालों के विविध स्थानों पर विविध नाम हैं। सहारनपुर में उन्हें गाटे कहा जाता है। मुजफ्फरनगर में गुड़ाकुर, बुलन्दशहर में गिंदोड़िया और डिवाई ( बुलन्दशहर ) में दिलवालिये करके जो लोग कहे जाते हैं, वे दस्सा अग्रवालों के भी भेद हैं । सामान्यतया, बीसा अग्रवाल लोग कदीमी अग्रवालों को दस्सा समझते हैं। पर बहुत से कदीमी अग्रवाल अपने को दस्सा नहीं समझते । Water और दस्सा का यह भेद बड़े महत्त्व का है। बीसा और दस्सा अग्रवालों में परस्पर विवाह सम्बन्ध नहीं होता । बीसा अग्रवाल अपनी लड़की का दस्से के साथ विवाह नहीं करते। उनमें परस्पर खान-पान में भी अनेक रुकावटे हैं। बीसा और दस्सा अग्रवाल दो पृथक् जातियों के समान हैं । धर्म तथा देश भेद से भी जिस प्रकार की भिन्नता का विकास अग्रवालों में नहीं हुआ, वैसा भेद इन बीसा और दस्सा अग्रवालों में है । इसका कारण रक्त भेद ही समझा जाता है । भारत की विविध जातियों का आधार रक्त की एकता है । एक जाति में जो भेद धर्म की भिन्नता से भी नहीं आता, वह रक्त शुद्धि में जरा-सा फर्क पड़ने पर विकसित हो जाता है । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अग्रवाल For Private and Personal Use Only !
SR No.020021
Book TitleAgarwal Jati Ka Prachin Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSatyaketu Vidyalankar
PublisherAkhil Bharatvarshiya Marwadi Agarwal Jatiya Kosh
Publication Year1938
Total Pages309
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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