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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २४७ मध्यकाल में अग्रवाल जाति मुगल शासन में रतनचन्द का प्रभाव इतना बढ़ा हुवा था, कि वह जिसे चाहे सरकारी पद पर नियुक्त होने से रोक सकता था। मीर जुमला तरखान नामक एक शक्तिशाली सरदार की नियुक्ति सदर-उससुदूर के ऊंचे पद पर की जारही थी। राजा रतनचन्द ने इसका विरोध किया । मीर जुमला ने हज़ार कोशिश की, सादत खां जैसे उच्च पदाधिकारी से सिफारिश कराई। पर रतनचन्द के विरोध में होने के कारण उसकी एक न चली । वह सदर-उस-सुदूर के पद पर नियत नहीं हो सका। राजा रतनचन्द ने मुगल शासन में अनेक बड़े परिवर्तन किये । उससे पहले बड़े राजपदाधिकारियों को निश्चित वेतन मिलता था, और वे वेतन पाकर राज्य का कार्य करते थे । पर रतनचन्द ने यह तरीका शुरू किया, कि राजकीय आमदनी वसूल करने का काम ठेके पर दिया जाय । जो आदमी सब से अधिक आमदनी करने का वायदा करे, उसे ही वह कार्य सौंपा जाय । यह तरीका कहां तक अच्छा है, इस पर विचार करने की यहां आवश्यकता नहीं। पर मुगल शासन में इतना भारी परिवर्तन रतनचन्द द्वारा हुवा, और यह उसके प्रभाव का बड़ा अच्छा प्रमाण है। सैयद बन्धुओं का राजा रतनचन्द सञ्चा मित्र था। फरुखसियर के शासन काल में जब सैयद हुसेनअली खां के विरुद्ध षड्यन्त्र शुरू हुवे, तो उनसे सैयदों को सावधान करने में उसने बड़ा कार्य किया। सैयद बन्धुओं में जो परस्पर मित्रता बनी रही, और वे आपस में नहीं लड़ For Private and Personal Use Only
SR No.020021
Book TitleAgarwal Jati Ka Prachin Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSatyaketu Vidyalankar
PublisherAkhil Bharatvarshiya Marwadi Agarwal Jatiya Kosh
Publication Year1938
Total Pages309
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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