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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अग्रवाल जाति का प्राचीन इतिहास २३८ भी पालन शुरू किया । क्योंकि वह बच्चे मुसलमान घर में पैदा हुवे थे, अतः उनकी शिक्षा के लिये मुसलमान मौलवी नियत किया गया । उन्हें बिलकुल अपने बच्चों की तरह से पालकर उसने बड़ा किया । इस घटना से राजा ख्यालीराम के दयापूर्ण हृदय का परिचय मिलता है । राजा ख्यालीराम का पुत्र राय बालगोबिन्द था । इनकी भी ईस्ट इण्डिया कम्पनी में बड़ी प्रतिष्ठा थी । सन् १७७७ में वारेन हेस्टिंग्स की तरफ से इन्हें बलिया और तांडा के परगने जागीर के तौर पर प्राप्त हुवे थे । सन् १७९२ में इस जागीर की एवज में इन्हें ४००० रुपया मासिक पैंशन दे दी गई थी । राय बालगोबिन्द की मृत्यु सन् १८१० में हुई। राय बालगोबिन्द के दो लड़के थे- राय पटनीमल और राय बंशीधर । इनमें राय पटनीमल बड़े प्रसिद्ध हुवे । इनका जन्म सन् १७१० मं हुवा था । युवावस्था में ही इन्होंने ईस्ट इण्डिया कम्पनी की सर्विस प्रारम्भ की, और अपनी योग्यता तथा कुशलता के कारण बड़ी प्रतिष्ठा प्राप्त की । सन् १८०३ में मेजर जनरल वेलेस्ली ने ईस्ट इण्डिया कम्पनी की तरफ से अवध के नवाब वजीर तथा ग्वालियर के महाराज सिन्धिया के साथ जो सन्धि की, उसमें मुख्य कर्तृत्व राय पटनीमल का ही था । इसी के परिणाम स्वरूप बादशाह अकबर ( द्वितीय ) की तरफ से इन्हें राजा की पदवी प्रदान की गई, और गोहद के महाराज की तरफ से तर परगने में एक जागीर मिली। इसके बाद अवध के नवाब वजीर और ईस्ट इण्डिया कम्पनी में परस्पर के अनेक विवादग्रस्त विषयों का निबटारा करने के लिये एक कमीशन लार्ड काउले की अध्यक्षता में For Private and Personal Use Only
SR No.020021
Book TitleAgarwal Jati Ka Prachin Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSatyaketu Vidyalankar
PublisherAkhil Bharatvarshiya Marwadi Agarwal Jatiya Kosh
Publication Year1938
Total Pages309
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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