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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir आचा ॥८४३॥ कदाच कोइने एवी शंका थाय के प्रथम बतावेला भात मंधु तथा अडद साथे मेळवी खाता हशे, तेथी ते दूर करवा कहे छे. सूत्रम के ते प्रणे जो साथे मळे तो साथे लेइ खाता, अने त्रणेमांथी कोइ जुदं जुएं मळे तो तेम लेता अथवा एकल मळे तो तेम लेता दी अर्थात् त्रणमांथी जे मळे ते लेइ निर्वाह करता. 1८४३॥ -आ केटली मुदत सुधी आम करता, ते कहे छे. (शीयाळा उनाळानी आठ मासनी ऋतुने ऋतुबद्ध काळ कहे छे. ते) आठे मास मुधी भगवाने तेवा लुखा भोजनथी निर्वाह कर्यो तथा तेज प्रमाणे पाणी पण अब्धो मास के एक मास भगवाने |8| | तेवू (सार्दू) पीधुं. (५) तथा चे मासथी अधिक अथवा छ मासथी पण वधारे भगवाने पाणी पण पीधा विना रात दिवस निर्वाह करी लीधो, हुं पाणी 'पीश' तेवी इच्छा (पतिज्ञा) पण न करी, तथा कोइवार वासी (खवाय तेवू ) मळ्यु होय तो कोइ ! वार खाइ पण लेता. (६) छ?ण एगया भुंजे अदुवा अहमेण दसमेणं, । दुवालसमेण एगया भुंजे, पेहमाणे समाहि अपडिन्ने ॥७॥ णचा णं से महावीरेनोऽविय पावगं सयमकासी, । अन्ने हिवाण कारित्था, कीरंतंपि नाणुजाणित्था ॥८॥ वळी कोइ बखत छनो तप करी पारj करे हे,एटले प्रथमना दिवसे एक वखत खाय. त्यारपछी चे दिवस उपवास करे,अने चोथे दिवते पार्छ एकवार खाय,एटले प्रथमनो एक वचला चार अने चोथादिवसनो एक टंक मळी छ वखत न खावाथी छठ भक्त थाय छे. ए प्रमाणे बेबे टंक एकेक दिवसना वधारतां आठ भक्त त्यागवाथी अठम अने तेवी रीते दशम तथा बार भक्त पञ्चख्खाण For Private and Personal Use Only
SR No.020012
Book TitleAcharanga Stram Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilankacharya
PublisherShravak Hiralal Hansraj
Publication Year1935
Total Pages328
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_acharang
File Size15 MB
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