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आचा० हयपुवो तत्थ दंडेण, अदुवा मुहिणा अदु कुंतफलेण; । अदु लेलुणा कवालेण, हंडा बहवे कंदिसु ॥१०॥
सूत्रम् ____ गोचरी लेवा जतां अथवा मकानमा रहेवा जतां भगवान प्रतिज्ञा रहित हता, एटले गाम पासे आवेलु होय, अथवा गाम न ॥८३९॥ - आव्यु होय, तो एम नहोता करता के; हुं अहीं हमेशा रहीश, अथवा अहीं नहीं रहुं, तथा त्यां अनार्य लोको भगवाननी पासे 20:३९।।
आवीने प्रथम मारता, अने कहेता के आ गामथी दूर जाओ. (९) तथा कदी गाम बहार रहेता तो त्यां पण अनार्य लोको आ-18 | वीने प्रथम दंड (लाकडी) अथवा मुक्कीथी मारता, अथवा भालानी अणीथी माटीना ढेफाथी अथवा घडाना ठीकराथी मारी मारीने है अनार्य लोको वीजाने बोलता के आवो आवो ! तमे जुओ तो खारा के आ कोण छे ? ए प्रमाणे कलकल करता हता. (१०) * मंसाणि छिन्नपुवाणि उठभिया एगया काय; । परीसहाई लुचिंसु, अदुवा पंसुणा उवकारिंसु ॥११॥
उमा लइय निहणिंसु, अदुवा आसणाउ खलइंसु । वोसहकायपयणाऽऽसी दुक्खसहे भगवं अपडिन्ने ॥१२॥ 2 कोइ बखत तो भगवान पासे आवीने तेमना शरीरने ज्ञालो राखीने तेमाथी मांस कापी काढता, तथा बीजा पण दुःख देनारा हा परीषहो आपता, अथवा धृळ्थी हेरान करता. (११) | वळी कोइ वखत भगवानने उंचे उचकीने नीचे पटकता हता, अथवा गोदोहिक उत्कुटुक वीरासन विगेरेथी धक्को मारी पाडी, देता, आई दुःख थवा छतां पण भगवाने तो कायानो मोह मुकी दीघेलो होवाथी परिषह सहन करवामां लीन हता, अने मुश्केलीथी सहन थाय, तेवा परिषहोना दुःखने सहेता, पण ते दुःखने दूर करवानी अथवा देवा करवानी इच्छा न धराववाथी अपतिज्ञावाला हता.
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