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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir आचा० है। सूत्रम् ॥११०७॥ u.१०७॥ AAS.CCREASST.. विय पाणभोयणभोइति दुच्चा भावणा २ । अहावरा तच्चा भावणा-निग्गथेगं उम्गहंसि उग्गहियं स एतावताव उग्गहणसीलए सिया, केवली व्या-निग्गंथेणं उग्गर सि अणुग्ग हियसि एतावता अणुग्गहणतीले अदिन गिणि जा, निग्गथेणं उग्गहं उग्गहियसि एतावताव उग्गहणसीलएत्ति तच्चा भावणा । अहावरा चरित्या भाषणा-निग्गयेगं उम्गसि उग्गहियसि अभिक्रवणं २ उग्गहणसीलए सिया, केवली वूया-निग्गंथेणं उगहंसि उ अभिक्रवणं २ अणुग्गहणसीले अदिन्नं गिण्डि ज्जा. निग्गंथे उग्गहसि उग्गहियसि अभिक्खणं २ उग्गहणसीसएतिचउत्था भावणा | अहावरा पंचमा भावणाअणुचीइ मिउग्गहजाद से निग्गथे साहम्मिएमु, नो अणणुबीइ मिरगहनाइ, केवली बूया-अणणुवीइ मिउग्गहजाइ से निग्गंथे साहम्मिए अदिन अगिण्डिजा अणुवीइमिउग्गह जाइ से निग्गंथे साहम्मिएमु नो अणणुवीइमिउगह जाती इइ पंचमा भावणा, एतावया तचे महन्धए सम्म० जाव आणाए भाराहए यावि भवा. तचे भते! महग्वयं ॥ अहावरं चउत्थं नहब्वयं पञ्चक्खामि सत्वं मेहुण, से दिव्यं वा माणुस्सं वा तिरिक्खनो णयं वा नेव सयं पेढणं गच्छे जा तं चेवं अदिनादाणवतनया भणियबा जाव वोसिरामि, तस्तिमाओ पंच भावणाभो भवंनि तत्थिमा पढमा भावणा-नो निग्गंथे अभिक्खणं २ इत्थीणं कई कहित्तए सिया, केवली बूया-निग्गंथेग २ इत्थीण कई कहेमाणे सतिभेया संतिविभंगा संतिकेवलीपन्नताओ धम्मा श्री भंसिना, नो निग्गथे णं अभिक्खणं २ इत्यण कहं कहित्तए मियत्ति पढमा भावणा १। अहावरा दुचा भावणा-नो निग्गये इत्पीगं मणोहराई २ इंदियाई आलोइराए निजाइत्तए सिया, केवली बृया-निगंथे णं इत्थीणं मणोहराई २ दियाई आलोए माने निज्झाएमाणे संतिभेया संति विभंगा जाच धम्माभो MERIENDSHERS For Private and Personal Use Only
SR No.020012
Book TitleAcharanga Stram Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilankacharya
PublisherShravak Hiralal Hansraj
Publication Year1935
Total Pages328
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_acharang
File Size15 MB
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