SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 29
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra आचा० ॥ ८१४ ॥ www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir खपावे छे.अन्त समयमां ज्ञान आवरण अने अंतराय पंचक तथा दर्शन आवरण चतुष्क खपावीने आवरण रहित ज्ञान दर्शनवाळो | केवळी (सर्वज्ञ) बने छे. अने ते फक्त एकज सातावेदनीय कर्मने सयोगी गुणस्थान सुधी बांधे छे. आ गुणस्थाने जघन्यथी केवळी अंतर्मुहूर्त अने उत्कृष्टथी पूर्व कोडीमां थोडं ओहुं आयु सुधी होय छे. त्यार पछी आ केवळी भगवानने मालम पडे के अंतर्मुहूर्त आयु बाकी छे। अने वेदनीय कर्म घणुं वधारे छे तो बन्नेनी स्थिति सरखी करवा केवळी समुद्घात अनुक्रमे करे छे. केवळी समुद्घानुं वर्णन. औदारिक कायना योगवाळो आ लोकना अंत सुधी उंचे नीचे पहोंचे त्यां सुधी शरीरना परीणाह (अव-गाहनाना) प्रमाणनो प्रथम समयमा दंड आकार बनावे छे. बीजा समयमां तीछ दिशामां लोकांत पुरवा माटे कपाट (कमाड) माफक औदारिक कार्मण | शरीरना योगमां रहीने बनावे छे. त्रीजा समयमां खुणाओ पुरवा माटे कार्मण शरीर योगमां रहीने मन्धान (मवणी) माफक बनावे छे. अने ते सम श्रेणि पछी श्रेणि लेवाथी लोकनो घणो भाग प्राये पुराय छे। अने चोथा समयमां कार्मण योगवडेज मंथानना | वचमा रहेला अंतरा पुरवा माटे निष्कुटवडे पुरे छे तेज प्रमाणे उलटा क्रमे बीजा चार समयमां ते व्यापारने संकेलता ते ते योगवाळो थाय छे. फक्त 'छट्टा' समयमा मंथाननो उपसंहार करतां औदारिक मिश्रयोगी थाय छे. ते प्रमाणे केवळी भगवान समुयातने संहरीने पछी फलक विगेरे पोते जे गृहस्थ पासे लीधुं होय ते पाछु सोपीने योगनो निरोध करे छे. योग निरोध वर्णन. प्रथम बादर मन योगने रोके छे. पछी वचन योगने अने काय योग जे बादर होय तेने रोके छे पछी एन क्रमे सूक्ष्म मनो For Private and Personal Use Only सूत्रम् ॥ ८१४॥
SR No.020012
Book TitleAcharanga Stram Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilankacharya
PublisherShravak Hiralal Hansraj
Publication Year1935
Total Pages328
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_acharang
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy