SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 233
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandit आचा० सूत्रम् ॥१०१८॥ ॥१०१८॥ Artha वा दम्मेत्ति वा गोरहत्ति वा वाहिमशि वा रहजोग्गति वा, एयप्पगारं भासं सावजं जाव नो भासिज्जा ।। से भि. विरूवरूवाओ गाओ पेहाए एवं वइज्जा, तंजहा-जुबंगविचि वा घेणुतिं वा रसवइत्ति वा हस्से इ वा महल्ले इ वा महव्वए इ वा संवहणित्ति वा, एअप्पगारं भासं असावजं जाव अभिकंख भासिज्जा ॥ से भिक्खू वा० तहेब गंतुमुज्जाणाई पन्चयाई वणाणि वा रुक्खा महल्ले पेहाए नो एवं चहज्जा, तं०-पासायजोग्गाति वा तारणजोग्गाइ वा गिहजोग्गाइ वा फलिहजो० अग्गलजो० नावाजो० उदग० दोणजो० पीढचंगवेरनंगलकुलियतलट्टीनाभिगंडीपासणजो० सयणजाणवस्सयजोगाई वा, एयप्पगारं० नो भासिज्जा ॥ से भिक्खु वा तहेव गंतु० एवं वइज्जा तंजहा-जाइमंता इ वा दीहवट्टा इ वा महालया इ वा पाययसाला इ वा विडिमसाला इ वा पासाइया इ वा जाव पडिरूवाति ग एयप्पगारं भासं असावज्ज जाव भासिज्जा ।। से भि. बहुसंभूया वणफला पेहाए तहावि ते नो एवं वइज्जा, तंजहा-पका इ वा पायखज्जा इ वा वेलोइया इ वा टाला इ वा वेहिया इवा, एयप्पगारं भासं सावज्ज जाव नो भासिज्जा ।। से भिक्खू० बहुसंभूया वणफला अंबा पेहाए एवं वइज्जा, तं०-असंथडा इ वा बहुनिवटिमफला इ वा बहुसंभूयां इ वा भूयरुचित्ति वा, एयपगारं भा० असा० ॥ से० बहुसंभूया ओसही पेहाए नहावि ताओ न एवं वइज्जी, तंजहा-पक्का इ वा नीलीया इ वा छवीइया इ वा लाइमा इ वा भन्जिमा इ वा बहुखज्जा इवा, एयप्पगा० नो भासिज्जा ॥ से बहु० पेहाए तहावि एवं वइज्जा, तं०-रुढा इ वा बहुसंभूया इ वा थिरा इ वा ऊसढाइ वा गम्भिया इ वा पम्या इ वा संसारा इवा, एयप्पगारं भासं असावज्जं जाव भासि०॥ (१३८) For Private and Personal Use Only
SR No.020012
Book TitleAcharanga Stram Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilankacharya
PublisherShravak Hiralal Hansraj
Publication Year1935
Total Pages328
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_acharang
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy