SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 213
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ॥९९८॥ 18/ पडेलु होय, तो बीजो रस्तो मळतां ते रस्ते न जवं, कारणके त्यां जतां बहु अपायो छे, पण बीजो रस्तो न होय, शक्ति न होय, 181 आचा08 तो ते मार्मे जतां सेनानो अजाण्यो माणस साधुने न ओळखबाथी बीजा माणसोने कहे के "आ जासुस आवेलो छे, माटे धक्को में ६ सूत्रम् | मारीने बाहुमांथी पकडीने बहार काढो" अने ते प्रमाणे कदाच करे, तो पण तेमना उपर क्रोध न लावतां समाधि विहार करे, ॥९९८॥ से भिक्खू वा० गामां० हज्जमाणे अंतरा से पाडिवहिया उवागच्छिज्जा ते णं पडिव हिया एवं वइज्जा-आउ० समणा! केवइए एस गामे वा जाव रायहाणी वा केवईया इत्थ आसा हत्थी गामपिंडोलगा मणुस्सा परि वसंति ! बहुभत्ते बहुउदए बहुजणे बहुजबसे से अप्पभत्ते अप्पुदए अप्पनणे अपजबसे ? एयप्पगाराणि पसिगाणि पुच्छिज्जा, एयप्प० पुट्ठो वा अपुट्ठो वा नो वागरिजा, एवं ख ठु० जं. सबटठेहिं० (मू० १२६)॥२-१-३-२ ते साधु साध्वीने मार्गे चालतां मुसाफरो मळे, तेओ आ प्रमाणे पूछे के हे साधुओ! तमारा विहारमा आबेलं गाम के राज्यधानी केवी मोटी छे ! तथा अहीं केटला घोडा हाथी गामना भीखारीओ के माणसो बसे छे, अथावा घणु रांधेलं अन्न पाणी के अनाज मळे छे ? के ओर्छ भोजन पाणी के अनाज मळे छे ? एवा प्रकारना प्रश्नो पूछे, अथवा न पण पूछे, तो पण पोते बोलवू नहि, (भाषातर वाळा आचारांगमूत्रमा पाठ विशेष छे. एतप्पा गाराणि पसिणाणि णो पुच्छेज्जा आवा प्रश्नो मुनिए पण मुसाफरने पूछवा नहि,) आज साधुनुं सर्व साधुपणु छे. For Private and Personal Use Only
SR No.020012
Book TitleAcharanga Stram Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilankacharya
PublisherShravak Hiralal Hansraj
Publication Year1935
Total Pages328
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_acharang
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy