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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra आचा० ॥६५६॥ www.kobatirth.org तीक्ष्णैरसिभिर्दिप्तैः कुन्तै विषमैः परश्वधै ; परशु त्रिशूलमुद्गरतामरे वासी मुवंढी ॥ २ ॥ वळी, देदीप्यमान तीक्ष्ण तलवारोथी तथा विषमभाला, परशुअभ चक्रोवडे, तथा परशु-त्रिशूळ मुद्गर, तोमरवासी मुषंढीथी दुःखदेछे. संभिन्नतालु शिरस छिन्न भुजारिछन्न कर्णना सौष्ठाः भिन्नहृदयोदरान्त्रा भिन्नाक्षि पुटाः सुदुःखार्त्ता ॥ ३ ॥ एटले, ताळ - माथु जुदु पाडे छे, तथा भुजा, कान, अने होठ छेदी नाखे; तथा छाती पेट, आंतरडां भेदीनांखे; तथा आंखोना डोळा खेंची काढवाथी रांक नारकीना जीवो पीडायला छे. Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir निपतन्त उत्पतन्तो विचेष्टमाना महीतले दीनाः नेक्षते त्रातारं नैरयिका कर्म्म पटलान्धाः ॥ ४ ॥ नीचे पडेला पाछा ऊछळता जुदी जुदी चेष्टा करता महीतळ (पृथ्वी) उपर दीन थइ रहेला कर्मना पडदाथी अंधा बनेला नारकीना जीवो कोइ रक्षकने जोइ शकता नथी. शार्दुल विक्रिडित, छिन्द्यते कृपणाः कृतान्त परशो स्वीक्षणे न धारासिना; क्रदन्तो विषवीचि (वच्छ ) भिः परिवृता संभक्षण व्यावृतैः ॥ पाटयते क्रकचेन दारुवदसिन प्रच्छिन्न बाहुद्वयाः कुंभीषु त्रपुपान दग्धतनवो मूषासु चान्तर्गताः ॥ ५ ॥ जमराजा परशुनी तीक्ष्ण तलवार जेवी धारावडे ते रांकडा छेदाय छे, तथा विषना समूहथी भरेला. (हडकायला कूतश जेवा) करडवा माटे वींटायला पोकार करता रहे छे, तथा करवतीवडे जेम, लाकडं चीरे; तेम चीराय छे, तथा तलवारवडे सेना वे बाहु छेदी नाखे छे. तथा कुंभीमां राखीने गरम गरम तरवं पाय छे, तथा मषमां (घालीने जेम सोनी सोनुं पीगळावे; तेम) घालीने For Private and Personal Use Only सूत्रम ॥६५६॥
SR No.020011
Book TitleAcharanga Stram Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilankacharya
PublisherShravak Hiralal Hansraj
Publication Year1934
Total Pages186
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_acharang
File Size10 MB
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