SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 137
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 12 समिति राखबी. (विचारीने बोलवू) अथव। अस्ति नास्ति ध्रुव अध्रुव विगेरे बोलनारा वादीओ वाद करवाने माटे तैयार थयेला आचा० 6 जेओ त्रणसो तेसठनी संख्यावाळा छे. तेवा त्रणसो तेसठनी प्रतिज्ञा हेतु दृष्टांत उपन्यासना द्वारवडे भूलो बतावी तेमनुं गीतार्थ द्रा सुत्रम साधुए समाधान करवू. अथवा वचननी गुप्ति साधुए राखवी तेनु स्वरुप हु कहुं छु. अने हवे पछी कहीश. ते वादीओ जे वाद क॥७४२॥ रवा आवे तेमने आ प्रमाणे कहेवु. जेम तमारा बधामां पण पृथ्वी पाणी अग्नि वायु बनस्पतिनो आरंभ करवो, कराववो, अनुमोदवो 51७४२॥ ४ एम संमति आपी छे. एथी वधी जग्याए आ पाप अनुष्ठान छे. एम अमारो मत छे. अर्थात् तमे ते हिंसाने पाप मानता नथी, पण * जीवोने दाखरुप होवाथी अमे तेमने जैनमत प्रमाणे पाप मानीए छीए. ते कहे छे. ___'तदेव'-आ पाप अनुष्ठान छोडीने हुँ रह्यो छु एज मारो विवेक छे. [जे वीजाने दुःख देवान छोडे छे, तेज पोते पापथी ब चेलो छे. अने तेज धर्म कहेवाने योग्य छ] तेथी हुँ वधाथी अप्रतिसिद्ध आस्रवद्वारोवाळा साथे केवी रीते भाषण करु. (जे जीवोने NI बचाववा चाहे ते हिंसकांनी साथे केवी रीते बाद करी शके?) तेथी वाद करवो दूर रहो. ए प्रमाणे असमनुज्ञ [ असंमति ] नो विवेक करे छे. प्र०.-अन्य तीथिओ पापनी संमतिवाळा अज्ञानी मिथ्या दृष्टि चारित्र रहित अने अतपस्वी छे तेवु केवी रीते मानो छो? कारण के तेओ न खेडाएली भूमि उपर जे वन छे तेमां वास करनारा छे. कंदमुळ खानारा छे. अने झाड विगेरेना आश्रये त रहेनारा छे अहीं जैनाचार्य कहे छे. उ.-अरण्यवासथीज धर्म नथी पण जीव अजीवना संपूर्ण ज्ञानथी तथा तेमनी रक्षानां अनुष्ठान करवाथी धर्म छे अने तेवो ६ धर्म तेमनामां नथी, तेथी तेओ असमनोज्ञ छे (उत्तम साधु नथी) वळी सारा माठानो विवेक जेमा होय जे धर्म छे अने तेवो धर्म Seaबबालपनमा For Private and Personal Use Only
SR No.020011
Book TitleAcharanga Stram Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilankacharya
PublisherShravak Hiralal Hansraj
Publication Year1934
Total Pages186
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_acharang
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy