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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra आचा० 1130011 www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गोवालीओ बाळक तथा स्त्री विगेरे मंद बुद्धिवालाना ताटे द्रष्टांत द्वाराए कहेलो विषय वधारे बुद्धिमां उसे छे. तेटला माटे उपर बतावेल विषयने समजवा माटे कथा कहे छे. धना शेठनी कथा, कौसंबी नगरीमां घणुं धन अने घणा पुत्रवालो धनो नामनो सार्थवाह (मोटो वेपारी) डतो. तेणे एक वखत पोते एकलाए घणा उपायों बडे स्वापतेय (पोतानुं कमाए धन ) मेळव्यु अने बधां दुःखी जे भाइ समां मित्र स्त्री पुत्र विगेरे हतां तेमने माटे उपभोगभां लीधुं. त्यार पछी आ शेठ उमरना परिपाकथी बुढो थयो, त्यारे तेणे साचत्रवामां होंशीयार एवा पुत्रोने वधा कार्यनी चिन्तानो भार सोंपी दीधो, ते पुत्रो पण विचारखा लाग्या के आ बुढाए अमने आवी अवस्थामां मूक्या के जेथी वधा माणसोमां हमो अग्रेसर थया, तेनो उपकार मानता छता उत्तम कुळनी सज्जनता धारण करता रह्या. पण कोइ वखते कार्यना प्रसंगे तेओ दूर थया, तेथी पोतानी खोओने पोतानो अशक्त वाप सोप्यो ते स्त्रीओ पण घरनी श्रीमंताइथी ते बुट्टाने तेल मर्दन तथा स्नान तथा भोजन विगेरेथी यथायोग्य कार्य संतोष पाडवा करती हती. त्यार पछी केटलोक काळ गयो त्यारे घरमा पुत्र परिवार तथा माल मीलकत बघतां ए स्त्रीओ पोताना पतिनो संपदाथी अहंकारमां आवी. अने ते बुढो परवश थलो अने तेनुं आखें अंग कंपनुं हतुं शरीरनां बधां द्वार अंदरना मळ विगेरे नीकळवाथी गंधाता हतां. तेथी ते बुट्टा तरफ घरनो खोओ धीमे धीमे योग्य उपचार करवामां प्रमाद करवा लागी. आडोशो पण पोतानी ओछी सेवा थतो जोइ चित्तना अभिमानवडे तथा कुदरती लागणीथी दुःखना सागरमा डुबेलो बनी | छोकरानी बहुओनी फरीआद छोकराओ पाले करवा लाग्यो, ते स्त्रीओने पोताना पतिए उपको आपवाथी वधारे खेदवाली बनी ( ससरानी उपर क्रोध लावी.) ने थोडी पण चाकरो करवो छोडी दीधी, अने ते दरेक बहुओ एक विचारवाळी बनीने पोताना पतिने कहेवा For Private and Personal Use Only सूत्रम् ॥ ३००॥
SR No.020009
Book TitleAcharanga Stram Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilankacharya
PublisherShravak Hiralal Hansraj
Publication Year1933
Total Pages204
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_acharang
File Size11 MB
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