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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra आचा० ॥२२८॥ www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पांच अस्तिकाय. ( प्रदेशनो समूह ) छे, ते लेवो. ते लोकनो आठ प्रकारे निक्षेपो छे. नाम, स्थापना, द्रव्य, क्षेत्र, काळ, भव, भाव, पर्यव. एम आठ भेद छे, अने विजय, अभिभव पराभव, पराजय एम पर्यायो छे, तेनो निक्षेपो छ प्रकारे छे. अहिंया लोकना आठ प्रकारना निक्षेपा छतां भाव निक्षेपामां भाव लोकनो अधिकार छे. ते छ प्रकारनो औदायिक भाव विगेरे छे. ते औदायिक भाववाळा कषाय लोकवडे अधिकारछे; अने ते संसारनुं मूळ छे. शिष्यनो प्रश्न - आ बधुं शा माटे कबुं ? उत्तर - तेनो एटले औदयिक भाव कषाय लोकनो पराजय करवो. (क्रोध विगेरे थाय तो तेने दावी देवा) लोकना निक्षेपा पछी विजयना छ प्रकारे निक्षेपा छे ते कहे छे लोगो भणिओ दवं खितं कालो अ भावविजओ अ । भव लोग भावविजओ पगयं जह वज्झई लोगो ॥ लोक द्रव्य क्षेत्र, काळ, अने भाव, विगेरेनुं वर्णन करे छे. चतुर्विंशति स्तत्र — (चोवीस भगवाननुं स्तवन जेनुं बीजुं नाम लोगस्स ) छे, ते बीजो आवश्यक छे. तेनुं आवश्यक सूत्रनी नियुक्तियां विस्तारथी वर्णन करेलुं छे. शिष्यनी शंका- आ वाचानी कइ जातनी युक्ति छे ? के लोकोनुं त्यां वर्णन करेलुं छे. अने अहीं तेनो शुं संबंध छे ? उत्तर - अही अपूर्वकरण ( आठमुं गुणस्थान ) थी अनुक्रमे चढी क्षपकश्रेणि (केवणज्ञान पामवानुं ध्यान जेमां मोहनो सर्वथा For Private and Personal Use Only सूत्रम ॥२२८॥
SR No.020009
Book TitleAcharanga Stram Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilankacharya
PublisherShravak Hiralal Hansraj
Publication Year1933
Total Pages204
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_acharang
File Size11 MB
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