SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 94
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir न पवयंति य अणगारा ण य तेहि गुणेहि जेहिं अणगारा । पुढवि विहिंसाणा, न हु ते वायाहि अणगारा ॥२९॥ १।। आचा०४ ___ अहिं केटलाक जिनेतर साधुवेशने लइने कहे छे के अमे अनागर छीए, प्रवजित छोए पण तेश्रो निर्वद्य अनुष्ठानरुप जे सूत्रम् ness त्यो अनागार करे छे, ते तेभी करता नथी. हवे से अनागार गुणमा केम नथी वर्तता, ते बताये छे. तेो ईमेशां मळद्वार द्वार ॥ ९६ ॥ नया हाथ पग साफ करवामां पृथिवी जीवोने विपत्ति करनाग देखाय छे. तथा बीनी रीते पण मल द्वारने निर्लेप करवाने तथा | दुर्गध रहित करवाने शक्य छे. तेथी यती गुण कलापथी शून्य एवा अनगारोने बोळवा माथीजयुक्ति विना अनगारपणुं मळतुं नथी. आथी एम समजाव्यू के यती भोए पृथिवीकायने पीडा न थाय माटे हाथ धावा विगेरेमा पाटीनो उपयोग न करवो. अहिंआ पहेली गाथाना पहेला अर्थ भागवडे मतिना छे, पाछ्ली अडधी गाथाथी हेतु छे तथा उत्तर गाथाना अर्थ बडे साधर्म्य हष्टांत छे. के जेनेतर यतिपणानुं अभिमान करना छत्ता यतिमुणमा प्रवर्तता नथी. कारण के तेश्रो पृथिवीनी हिंसामा प्रवर्ते छे. अने जे जे पृथिवीनी हिंसामा प्रवर्ते छे, ते यतिगुणोमा प्रवर्तता नथी. जेमके गृहस्थीओ हवे दृष्टांतवाद्धं निगमन कहे छे. अणगारवाइणो पुढविहिंसगा निग्गुणा अगारिसमा। निहोसत्ति यमइला, विरइदुगंछाइ मइलतरा ॥१०॥ अमे यति छीए एम बोलीने पृथिवीकायनी हिंसा करनारा यतिओ ग्रहस्थाश्रमी जेवान के मामटो अर्थ कहे. छे. सचेतना पृथिवी छे. ए सानना अभावमा तेना समारंभवडे दोपवाळा छतां अमे निर्दोष छोए एम माननारा पोताना दोष जोवामां विमुख For Private and Personal Use Only
SR No.020008
Book TitleAcharanga Stram Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilankacharya
PublisherShravak Hiralal Hansraj
Publication Year1932
Total Pages214
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_acharang
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy