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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandie जेने माटे त्रसकायना संमारंभमा प्रवर्तेलामोधी प्रसकाय पाणीओ मराय छे, ते ९ कई छ, केटलाक अर्चाने माटे हणे छ । आचा०14 ('अपि' शब्द उत्तर पदनी अपेक्षाए समुच्चय अर्थमां छे,) 'एके' एटले केटलाक अर्चाने माटे आतुर बनीने जाणे के आ देहने सूत्रम् सारीरीते घरेणां विगेरे भाषीने पूजशे. एटला माटे मारे छे (हणे छे) ते आ प्रमाणे खोडखापण विनाना बत्रीश लक्षणा पुरुषने | ॥१९७॥HI मारीने तेनाज शरीवडे देवीओनी पासे कोई विद्या मंत्र साधनो करे छे, अने तेनी सिद्धिने माटे दुर्गादि देवीभो जे मागे ते आ- १९७n पे छे. अथवा जेणे मेर खाधु होय, ते माणसने हाथीने मारीने तेना शरीरमा नांखें छे; अने पछी विष झरी (पची) जाय छे. | तथा अजीनने माटे चित्ता वाघ, सिंह विगेरेने मारे के ए प्रमाणे मांस, लोही, है, पित्त, चरबी, पीछां, पुछई, वाळ, शींगडां. | विषाण दांत, दाढ, नख, स्नापु, हाडका, अने हाडकानी मिज्मा विगेरेमां पण कहे के मांसने मारे मुंह बराह (मभर) विगेरे हमारे छे, तथा त्रिशूल आलेखपाने माटे लोही गृहण करे छे. साधना करनाराभो हृदयने लइने वलोवे . पित्तने माटे मोर विगेरे । हणे छे, वसाने माटे बाघ मघर भुंड विगेरे तथा पीछांने माटे मोर गीध विगेरे, पुंछडांने माटे रोझ नामर्नु जनावर विगेरे, वाळने Hमाटे चमरी गाय विगेरे शृंगने पाटे हरण गेंडां विगेरे पारे छे. कारण ते शौंगडांभोने याज्ञिक ( यज्ञ करनाराभो )पवित्र गणे के अने तेओ उपयोगमा लेछे. विपाणने पाटे हाथी, वराह तथा शंगालो विगेरे मारे छे. (अहीं विषाणना शींगहुं हाथीदांत तथा सकरनो दांत एम बण अर्थ धाय छ) तेना दांत अंधकारनो नाश करता होगाथी ते उपयोगने पाटे मराय छे. दाढने माटे वराह विगेरे, नखने माटे बाघ विगेरे, स्नायुने माटे गाय भैस विगेरे, अस्थि ने मादे शंख छीप विगेरे, अस्थिमिझिने माटे पाढा वराह | For Private and Personal Use Only
SR No.020008
Book TitleAcharanga Stram Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilankacharya
PublisherShravak Hiralal Hansraj
Publication Year1932
Total Pages214
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_acharang
File Size5 MB
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